Shaurya News India
इस खबर को शेयर करें:

अयोध्या। विश्व कल्याण के लिए श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ बुधवार को सम्पन्न हुआ। गोकर्ण वेद विद्या परिषद और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, अयोध्या के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस महायज्ञ में जन कल्याण और राम मंदिर निर्माण में आने वाली बाधाओं को रोकने के लिए 29 हजार पांच सौ आहुतियां दी गयीं। यह महायज्ञ छह जुलाई से शुरू हुआ था। महायज्ञ का उद्देश्य देश में एक सकारात्मक वातावरण तैयार करना था।


चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ को आयोजित करने के लिए कर्नाटक के श्रीक्षेत्र गोकर्ण से 21 वैदिक विद्वानों का एक दल विशेष रूप से अयोध्या आया हुआ था। इनमें से कई घनपाठी भी थे। वैदिक विद्वानों के इस दल का नेतृत्व श्रीक्षेत्र गोकर्ण के श्रीमहाबलेश्वर देवस्थान के मुख्य अर्चक वेदमूर्ति पंडित अमृतेश क्षितिकंठ भट्ट हिरे कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि श्रीक्षेत्र गोकर्ण को दक्षिण की काशी कहा जाता है। अरब सागर का यह तटवर्ती ग्राम और उसके देव भगवान श्री महाबलेश्वर शैव अनुयायियों की आस्था का केंद्र हैं।  


महायज्ञ सम्पन्न कराने के बाद उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए पंडित अमृतेश भट्ट हिरे ने कहा कि आज जब विश्व समुदाय नकारात्मक शक्तियों से घिर गया है तब चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ जैसे दैवीय आयोजनों की प्रासंगिकता बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि मंत्रों की शक्तियों के जरिए ही नकारात्मकता को दूर किया जा सकता है।
श्री हिरे का कहना था कि अनादिकाल में भी जब नकारात्मक शक्तियां अपना प्रभुत्व जमा कर लेती थीं तब ऋषि मुनि भी चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का आयोजन करते थे। आज विश्व में चारों तरफ अशांति फैली है और सकारात्मकता विलुप्त हो रही है। ऐसे में इस महायज्ञ को देश के अलग अलग क्षेत्रों में किया जाना चाहिए। पंडित अमृतेश के अनुसार इस चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ में पड़ी आहुतियों से देश में व्याप्त नकारात्मकता में निश्चित रूप से कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इस महायज्ञ से देश के जन जन का कल्याण होगा।  


उन्होंने कहा कि दरअसल वेद मंत्र कुछ और नहीं परमात्मा के श्वास और प्रश्वास हैं। हर मंत्र के अपने एक देव स्वरूप हैं। मन्त्रोच्चार करने मात्र से वे देवता जागृत हो जाते हैं। एक समय था जब घर घर में मन्त्रोच्चार होता था। तब हर घर में देवताओं का वास रहता था। आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं। इन वैदिक मंत्रों को ऋषि मुनियों और विद्वानों ने कण्ठस्थ कर वर्तमान समय तक सुरक्षित रखा।

इस खबर को शेयर करें: