वाराणसीः सहूलियत कैसे आफत बन जाती है, ये देखना हो तो वाराणसी चले आईए। जब काशी में ई-रिक्शा सुविधा शुरू की गई थी। सोचा गया था इससे प्रदूषण कम होगा, लोगों को सुविधा मिलेगी, पर आज यही ई-रिक्शा शहर के लिए मुसीबत बन गए हैं। सड़कों पर फैले टैम्पो के जाल से लोग पहले ही आजिज आ चुके थे, रही-सही कसर ई-रिक्शा ने पूरी कर दी। ई-रिक्शा के चलते सड़कों पर हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है। इन पर शिकंजा कसने के लिए कुछ माह पूर्व एडीसीपी यातायात ने शहर के घनी आबादी वाले मुख्य मार्गों पर इनके संचालन पर रोक लगा दी गई थी। पर हालात सुधरे नहीं। ई-रिक्शावालों की मनमानी जारी है। पुलिस और परिवहन विभाग भी इनके आगे बेबस नजर आ रहा है। शहर के हर मुख्य मार्ग और प्रमुख चौराहों पर ई-रिक्शा मुंह बाये खड़े रहते हैं।
ई रिक्शा चालकों की दबंगई का यह आलम है कि पुलिस को मुंह चिढ़ाने के लिए यह बेनिया, नई सड़क, गिरजाघर, मैदागिन, रामपुरा आदि इलाको जहाँ इनका आना मना है बाकायदा पुलिस को ललकारते सवारी ढोते नजर आ रहे है
शहर की लगभग हर गली में ई रिक्शा चालकों का बोलबाला है, 6 फिट की संकरी गली तक मे यह बेआवाज वाहन घुस रहें है और सड़क के साथ ही गलियों तक मे जाम का सबब बन रहे है
शहर में इनकी बढ़ती संख्या के कारण हर ओर जाम ही जाम है और यदि यातायात नियमों का पुलिस ने कड़ाई से अनुपालन नही कराया तो ई रिक्शा के कारण आम काशीवासी परेशान ही रहेगें
इस बात की भी जांच होनी चाहिये कि कितने ई रिक्शा शहर की सड़कों पर चलने के लिए पंजीकृत है और कितने चल रहे है
पूर्व में जब टैम्पो की संख्या शहर में बेलगाम होने लगी थी तो परिवहन विभाग ने शहरी क्षेत्र के लिए टैम्पो का परमिट देना बंद कर दिया था और केवल ग्रामीण क्षेत्रो हेतु ही परमिट जारी किया जा रहा था
यही कवायद अब ई रिक्शा हेतु भी करनी होगी, यह समीक्षा का विषय है कि शहर में धुआंधार चल रहे ई रिक्शा कितनी संख्या में चल रहे है और शहर की सड़कें और गलियां कितने ई रिक्शा का बोझ उठाने में सक्षम है, अन्यथा ये वाहन काशीवासियों हेतु सरदर्द बना रहेगा।