वाराणसीः स्थानीय क्षेत्रों में भाई दूज का पर्व दीपावली के दुसरे दिन मनाया गया. दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है और पांच दिवसीय त्योहार के पांचवे दिन मनाया जाता है, भाई दूज का पर्व. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है. भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्धा और परस्पर प्रेम के साथ मनाया जाता है.
रक्षाबंधन के बाद,भाई दूज ऐसा दूसरा त्योहार है, जो भाई-बहन के अगाध प्रेम को समर्पित है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास में मनाया जाता है. इस दिन विवाहिता बहनें भाई बहन अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है, और गोबर से भाई दूज परिवार का निर्माण कर, उसका पूजन अर्चन कर भाई को प्रेम पूर्वक भोजन कराती है. बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है.
भाई दूज से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं जिनके आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग तरह ये मनाया जाता है. भाई दूज को लेकर यह मान्यता प्रचलित है, कि इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से प्रेम बढ़ता ही है, भाई की उम्र भी लंबी होती है. चूंकि इस दिन यमुना जी ने अपने भाई यमराज से वचन लिया था, उसके अनुसार भाई दूज मनाने से यमराज के भय से मुक्ति मिलती है, और भाई की उम्र व बहन के सौभाग्य में वृद्धि होती है भाई का प्रेम है सबसे अलग.
जितना महत्व रक्षा बंधन को दिया जाता है उतना ही महत्व भाई दूज को भी दिया जाना चाहिए. बहन को चाहिए कि भाई को अपने घर बुलाकर उसे भोजन कराएं तथा लंबी उम्र की कामना के साथ छोटा-सा ही सही, पर उपहार जरूर दें. यह पर्व भाई और बहन के अटूट प्यार का प्रतिक माना जाता है. वहीं, राजातालाब बाजार में सरोज,पिंकी, रेनू गुप्ता, नीलम केशरी, दीया, सुलेखा, रूचि गुप्ता, मेनका गुप्ता, संध्या गुप्ता सहित दर्जन भर महिलाए पूजा में भाग ली.