Shaurya News India
इस खबर को शेयर करें:


चंदौलीः भारतवर्षीय गोंड आदिवासी महासभा (समिति) के तत्वावधान में स्थानीय  परशुरामपुर स्थित केन्द्रीय कार्यालय में बैठक सम्पन्न हुई. बैठक मे वक्ताओं ने कहा कि विश्व आदिवासी मूल निवासी दिवस जीवन शैली पर प्रकाश डाला गया. यूएनओ की पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई जिसमें संयुक्त राष्ट्रमहासभा के द्वारा एक कमेटी यूएनडब्लूजीईपी गठित हुई. इस विश्व के सभी मूल निवासियों ने जीवन शैली को विस्तृत रूप से अध्ययन किया. जिसमें पाया कि आदिवासी गरीबी, अशिक्षा,बन्धुआ मजदूरी,स्वास्थ्य, बेरोजगारी से ग्रसित हैं. यूएनडब्ल्यूजीईपी ने यूएनो को रिपोर्ट सौंपा गया। 9अगस्त 1993 को यूएनओ द्वारा एक सभा हुई.

जिसमे प्रतिवर्ष सभी देशों को विश्व आदिवासी (मूल निवासी)दिवस मनाये जाने की घोषणा हुई. किन्तु इस देश के आदिवासी(मूल निवासी)यह दिवस यानि विश्व आदिवासी दिवस मनाया क्योंकि विश्व के अन्य देशों में उनके समान भी समुदाय का वर्ग चाहिए. विश्व के 70 प्रतिशत से अधिक देशों में समूह में रहते हैं. उनकी संख्या 370 मिलियन है. 2011 के जनगणना के अनुसार 10 करोड़ 40 लाख आदिवासी 8.2 प्रतिशत भारत में ही रहते हैं।गोंड,खरवार,चेरी,मुण्डा, उराव, जारवा, कोल, संधाल, मीना, होथारू, भोक्सा, जानसारी आदि आदिवासी भारतीय आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति शब्द को संबंधित करते हैं.

09 अगस्त 1994 को जेनेवा शहर में विश्व भर के आदिवासियों का अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. सभा के द्वारा आह्वाहन किया गया कि देश के सभी आदिवासी लोग जल जंगल जमीन व संवैधानिक हक के लिए बुलंद करें. सभा की अध्यक्षता रविशंकर गोंड व संचालन सतोष कुमार जिला महामंत्री ने किया. सभा में राजकुमार गोंड,प्यारे लाल गोंड,श्रीकृष्णगोंड,रमाशंकर प्रसाद,घुरहूप्रसाद,हरिशचन्द,विजयी,अजय,सुरेश,प्रसाद,रामअधार,मिठाई लाल,सुदामा आदि लोग उपस्थित रहे.


 

इस खबर को शेयर करें: