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देवरियाः जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने जनपद में संचालित चार अल्ट्रासाउंड सेंटर के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दाखिल करने का निर्देश दिया है. इन चारों अल्ट्रासाउंड सेंटर पर निरीक्षण के दौरान बिना किसी योग्य डॉक्टर एवं स्टाफ की उपास्थिति के अल्ट्रासाउंड मशीन एक्टिव मिली थी, जो कि पीसीपीएनडीटी एक्ट-1994 के प्रावधानों का उल्लंघन हैं. इन केंद्रों पर भ्रूण का लिंग जांच होने का अंदेशा है. जिलाधिकारी ने इन सभी केंद्रों का पंजीकरण भी रद्द करने का निर्देश दिया है.

जिलाधिकारी के निर्देश पर जुलाई माह में विभिन्न अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर सघन जांच अभियान चलाया गया था, जिसमें सिविल लाइन स्थित सौरभ डायग्नोस्टिक सेंटर, न्यू कॉलोनी स्थित डॉक्टर्स स्कैन सेंटर, भाटपाररानी का ऋषि डायग्नोस्टिक सेंटर तथा महावीर सेंटर में निरीक्षण के दौरान डॉक्टर की अनुपस्थिति में अल्ट्रासाउंड मशीन एक्टिव मोड में मिले और मौके पर अप्रशिक्षित स्टाफ द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जा रहा था, जिसे मौके पर ही सील कर दिया गया और उपलब्ध अभिलेखों को जब्त कर लिया गया था. पूर्व में इन केंद्रों पर भ्रूण का लिंग परीक्षण होने की शिकायत भी मिली थी.

सभी चार अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालकों को इस संबन्ध में नोटिस दी गई, जिसका जवाब भी इनके द्वारा दिया गया, जिसे जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली पीसीपीएनडीटी की जिला सलाहकार समिति के समक्ष रखा गया. पीसीपीएनडीटी सलाहकार समिति ने अधिनियम 1994 के धारा 20(2) में निहित प्रावधानों व उपलब्ध साक्ष्यों एवं तथ्यों के आधार पर इन चारों अल्ट्रासाउंड सेंटरों का पंजीकरण रद्द करते हुए इनके विरुद्ध परिवाद दाखिल करने की संस्तुति की है.

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि भ्रूण का लिंग परीक्षण पर प्रभावी नियंत्रण लगाना इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है. इस संबन्ध में माननीय उच्च न्यायालय एवं शासन के स्पष्ट दिशा निर्देश हैं. उन्हीं के अनुपालन के क्रम में जनपद के चार अल्ट्रासाउंड सेंटर का पंजीकरण रद्द करने और उनके विरुद्ध परिवाद दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. भ्रूण का लिंग परीक्षण करने और कराने वालों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा.

रिपोर्ट- शिवप्रताप कुशवाहा

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