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यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में वाराणसी कमिश्नरेट का दायरा बढ़ाने पर मुहर लगी. जिले के सभी 30 थानों को तीन जोन में बांटकर कमिश्नरेट व्यवस्था शुरू की जाएगी. इससे ग्रामीण क्षेत्र में भी पुलिस के कामकाज में प्रशासनिक दखल कम हो जाएगा.


नई व्यवस्था लागू होने के बाद अलग-अलग संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्चें कम होंगे तो वहीं, वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान अलग जोन होने के कारण आपसी समन्वय में परेशानियां भी खत्म होंगी. कमिश्नरेट पुलिस में ट्रैफिक व्यवस्था और साइबर सेल भी अब एक सामान होगा. फरियादियों में भी असमंजस की स्थिति अब नहीं रहेगी.


बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में बुधवार वाराणसी के पुलिस कमिश्नर सिस्टम का दायरा बढ़ाते हुए कमिश्नरेट का विस्तार किया है. इसमें लखनऊ और कानपुर भी शामिल हैं, लेकिन बनारस में हाल ही के दिनों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद अब पूरा जिला एक ही सिस्टम से चलेगा. यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर वह कौन सी वजह है जिसे लेकर बनारस पुलिस कमिश्नरेट के प्लान के बाद कैबिनेट की मुहर इसके विस्तार पर लगी है.


दरसअल, उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में 4 ऐसे जिले हैं, जहां कमिश्नरेट सिस्टम लागू है. इनमें नोएडा, लखनऊ, वाराणसी और कानपुर शामिल हैं. लखनऊ और नोएडा में जनवरी 2020 में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ था. वहीं, वाराणसी और कानपुर में मार्च 2021 में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ था. नोएडा को छोड़कर शेष तीनों अन्य जिलों के ग्रामीण इलाके की पुलिसिंग के लिए ग्रामीण पुलिस की एक अलग यूनिट बनाई गई थी शहरी क्षेत्र की पुलिसिंग व्यवस्था का मुखिया एडीजी स्तर के पुलिस अफसर को बनाया गया था. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की पुलिसिंग व्यवस्था का मुखिया पुलिस अधीक्षक स्तर के अफसर को बनाया गया था.इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि एक रेवेन्यू एक डिस्ट्रिक्ट को दो पुलिस डिस्ट्रिक्ट में बदलने से पब्लिक को तमाम तरीके की दिक्कतें आती हैं.

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