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वाराणसी के लक्सा रोड, गुरुबाग के सामने स्थित प्रॉपर्टी म.नं. डी.53/91 को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। यह संपत्ति वर्ष 2001 में कोर्ट की डिक्री द्वारा जगदीश प्रसाद वाही के आठ उत्तराधिकारियों को प्राप्त हुई थी, और तब से वे इस पर काबिज़ थे। नगर निगम में भी 2007 के बाद से उनका नाम दर्ज है और वे नियमित रूप से संपत्ति कर का भुगतान कर रहे हैं।

लेकिन परिवार के ही एक सदस्य अनूप कुमार वाही ने अपनी पत्नी निकेता वाही के नाम पर एक 1998 की वसीयत का सहारा लेकर, जिसे 2001 में पारित डिक्री ने शून्य कर दिया था, 2013 में तहसील सदर में गुपचुप तरीके से नाम चढ़वा लिया। इस फर्जी दाखिल-खारिज को हाल ही में, 27 जून 2023 को निरस्त कर दिया गया।

इसके बाद भी निकेता वाही ने अपने पति अनूप वाही व दोनों बेटों के साथ मिलकर, भूमाफिया शिव प्रसाद यादव व भोलानाथ यादव के पक्ष में पहले 24 मार्च 2021 को एक सट्टा किया और फिर 8 दिसंबर 2021 को पूरी प्रॉपर्टी का बैनामा कर दिया। जब यह बात असली मालिकों के संज्ञान में आई, तो उन्होंने 29 जनवरी 2022 को स्थगन आदेश ले लिया, जिससे संपत्ति का स्वामित्व विवादित हो गया।

लेकिन कानून की परवाह किए बिना, 28 जनवरी 2025 को, कुम्भ मेले की व्यस्तता का लाभ उठाकर, निकेता वाही, अनूप वाही व प्रवीण यादव ने गुंडों और कट्टा लिए बदमाशों को लेकर सुबह 9:25 बजे जबरन मुख्य द्वार के चारों ताले तोड़ दिए।

लगभग 13-14 बदमाश, जिनमें कुछ वकील भी थे, प्रॉपर्टी में घुस गए और गाली-गलौज, जान से मारने की धमकी देने लगे और कमरों के ताले तोड़ने लगे। जब पीड़ित पक्ष ने 112 नंबर पर पुलिस को बुलाया, तो पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

पीड़ितों का आरोप है कि निकेता वाही, अनूप वाही और यादवों ने पुलिस पर दबाव बना लिया है, जिसके कारण उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही। सवाल यह उठता है कि जब कोर्ट की डिक्री इस संपत्ति के असली मालिकों के पक्ष में है

, तो फिर कैसे दबंग व भूमाफिया कानून को धत्ता बताकर जबरन कब्जा कर सकते हैं? क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेगा, या फिर पीड़ित परिवार यूं ही न्याय की आस में भटकता रहेगा?

रिपोर्ट धनेश्वर सहनी

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