जोधपुरः जीवन मे अर्थ यानी धन कमाना जरूरी है, लेकिन धन कैसे कमाया जाए यह जानना उससे भी ज्यादा जरूरी हैं. जब अनर्थ के माध्यम से अर्थ को कमाया जाता है तो जीवन निरर्थक हो जाता है. यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने जोधपुर में प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन में उपस्थित व्यक्तियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए. होसबाले ने स्वाधीनता व स्वतंत्रता में अंतर को स्पष्ट करते हुए प्रबुद्ध नागरिकों को आगे आकर समाज का नेतृत्व करने और राष्ट्र को शक्तिशाली, समृद्ध बनाने में हर नागरिक को योगदान देने की बात कही.
होसबाले ने जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख का उदाहरण देते हुए बताया कि 11 अक्टूबर को इन दोनों महान व्यक्तित्वों का जन्म दिवस है और इन दोनों के जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए. जयप्रकाश नारायण ने हफ्ते में तीन बार डायलिसिस होने के बावजूद पूरे भारत में अपना प्रवास जारी रखा और राष्ट्र के प्रति प्रेम व नागरिकों को जागरूक करने में अपनी भूमिका निभाई. इसी प्रकार नानाजी देशमुख ने भी मोरारजी देसाई द्वारा उद्योग मंत्री के पद के ऑफर को ठुकराते हुए राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान को संगठन के माध्यम से जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया.
छुआछूत को मिटाने का आह्वान करते हुए होसबाले ने कहा कि जाति के नाम पर , अस्पृश्यता के नाम पर, समाज को तोड़ने वाली शक्तियों से सावधान रहने की जरूरत है. समाज का कोई हिस्सा कमजोर ना रहे, यह हम सभी का प्रयत्न होना चाहिए. देश विरोधी शक्तियां इसी ताक में बैठी रहती हैं कि इस समाज में कोई हिस्सा कमजोर हो तो उस पर वार करके उसको तोड़ा जा सके. अस्पृश्यता नामक इस बुराई को खत्म करना आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है. जातिगत भेदभाव से हमें बचना होगा और समाज को मजबूत बनाना होगा. दुर्बल को सबल बनाना केवल सरकार का कार्य नहीं बल्कि यह समाज का भी दायित्व है.
पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए होसबाले ने कहा की जल ,जंगल , जमीन और जानवर इन सभी की रक्षा करना भी हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए. हमारे रीति-रिवाजों , हमारे त्योहारों और हमारे आचरण में पर्यावरण को संरक्षित करने की हर प्रकार से कोशिश होनी चाहिए. उन्होंने कहा अगर हम अब भी नहीं चेते तो जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण के चलते आने वाली पीढ़ी को हम बंजर भूमि सौंप कर जाएंगे.
होसबाले ने कहा कि भारत के निर्माण के लिए समाज को सजग व चौकन्ना रहना जरूरी है. बौद्धिक व वैचारिक गुलामी से बाहर आना इस स्वतंत्रता के अमृत वर्ष में जरूरी है.
भगवान शिव और योगिराज कृष्ण का उदाहरण देते हुए होसबाले ने कहा कि भारत की एकता और एकात्मता सांस्कृतिक है ,आध्यात्मिक है राजा हरिश्चंद्र , भगवान बुद्ध , भगवान महावीर और भगवान राम का उदाहरण देते हुए होसबाले ने कहा कि यह सभी राजा थे लेकिन अपने एक श्रेष्ठ विचार को जीवन भर पालन करने और उसे अपने व्यवहार में उतारने के चलते वह पूजनीय हो गए. उन्होंने कहा कि जीवन के मूल्यों को आत्मसात करने के लिए इन महापुरुषों ने अपना सर्वस्व लगा दिया.. इसीलिए हम उन्हें ईश्वर के रूप में पूजते हैं.
जीवन मूल्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को संस्कारित करना होगा. बच्चों में समाज के प्रति संवेदना, सत्य वचन बोलने की भावना , पर्यावरण संरक्षण का संकल्प और राष्ट्र के प्रति प्रेम का भाव विकसित हो यह हम सभी का प्रयास होना चाहिए. कार्यक्रम में कार्यक्रम में अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख , प्रान्त संघचालक हरदयाल वर्मा, महानगर संघचालक प्रकाश जीरावला , विभाग संघचालक जगदीश सिंह राजपुरोहित, सह प्रान्त कार्यवाह बंसीलाल भाटी, क्षेत्र प्रचारक निम्बा राम, प्रान्त प्रचारक योगेंद्र कुमार, सह प्रान्त प्रचारक राजेश कुमार, प्रांत प्रचार प्रमुख पंकज कुमार, सह प्रचारप्रमुख हेमन्त घोष समेत जोधपुर के प्रबुद्ध नागरिक एवं मातृशक्ति मौजूद रहे.