चन्दौलीः शहाबगंज ब्लॉक के सीमावर्ती ग्राम बन रसिया में एक ऊँचे टीले पर खंडित शिव प्रतिमा तथा कृष्णलीला सम्बन्धित प्रतिमा के अवशेष टीले पर बिखरे हुए थे जिसकी पहचान काशी हिंदू विश्विद्यालय वाराणसी के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एंवम पुरातत्व के पुरातन परास्नातक छात्र अरुण कुमार गुप्ता ने किया जिसका समयकाल 900-1200 ईसवी के बीच प्रतीत होता है जो कि यह कालखंड प्राचीन भारत के इतिहास में पूर्व मध्यकालीन के नाम से जाना जाता है तथा यही पर लाल मृदभांड के भी अवशेष मिलते है.
जिसमे एक बडा घड़ा तथा कटोरे के टूटे हुए मृदभांड के रूप में प्रतीत होते है जो कि यह भी पूर्व मध्यकालीन का ही है और इसी ग्राम में पूर्व मध्यकालीन समय का एक मंदिर भी प्राप्त हुआ है. जिसके भित्ति चित्र में गणेश, सूर्य भगवान रथ खींचता हुआ,लक्ष्मी, हनुमान जी, विष्णु, शिवलिंग की मूर्ति प्राप्त हुई है. जो कि सुदूर आस-पास के ग्रामीणक्षेत्रो में इस मंदिर लौकिक रूप से विख्यात है जो कि इसी गांव के पत्रकार कार्तिकेय पांडेय का कहना है कि इस मंदिर को सिद्धश्वेर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. जो कि श्रावण माह में यहाँ पर शिवभक्त लोग जलाभिषेक करके अपनी मन्नत माँगते है इस पुरातात्विक स्थल का सर्वेक्षण करने में हमारे साथ पत्रकार कार्तिकेय पांडेय तथा गाँव के बुजुर्गों का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ.