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डीडीयू नगर, चन्दौली: लालबहादुर शास्त्री महाविद्यालय के सभागार में चन्द्रशेखर आज़ाद की जयन्ती के उपलक्ष्य में शनिवार को  पोस्टर प्रदर्शनी व गोष्ठी का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर बोलते हुए डा हर्षवर्धन ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद का वास्तविक नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था,चंद्रशेखर आजाद का प्रारंभिक जीवन मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भावरा गांव में व्यतीत हुआ,भील बालकों के साथ रहते-रहते चंद्रशेखर आजाद ने बचपन में ही धनुष बाण चलाना सीख लिया था।


चंद्रशेखर आजाद की माता जगरानी देवी उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहती थीं, इसी कारण उन्हें काशी अध्ययन हेतु भेजा जहां आंदोलन में भाग लेते हुए उन्हें 15 कोड़े की सजा मिली।सन् 1922 में गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये।


इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त, 1925 को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये, बाद में एक–एक करके सभी क्रान्तिकारी पकड़े गए; पर चन्द्रशेखर आज़ाद कभी भी पुलिस के हाथ में नहीं आए।


इस अवसर पर बोलते हुए डा विवेक सिंह ने कहा कि चन्द्रशेखर आज़ाद को बचपन से ही देशभक्ति में रुचि थी।1920-21 के वर्षों में वे गाँधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े।वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए, जहां उन्होंने अपना नाम 'आजाद', पिता का नाम 'स्वतंत्रता' और 'जेल' को उनका निवास बताया , इस कारण उन्हें सजा दी गई,हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, 'वन्दे मातरम्‌' और 'महात्मा गाँधी की जय' का स्वर बुलन्द किया। इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए।


मुख्य अतिथि राजेश तिवारी ने कहा कि जब भी हम देश के क्रांतिकारियों, आजादी के संघर्षों को याद करते है तो हमारे अंतर्मन में एक खुले बदन, जनेऊधारी, हाथ में पिस्तौल लेकर मूछों पर ताव देते बलिष्ठ युवा की छवि उभर कर आ जाती है।मां भारती के इस सपूत का नाम था चंद्रशेखर आजाद. जिनका आज जन्मदिन है, हम सभी उन्हें नमन करते है।



इस अवसर पर बोलते हुए डा उदयन मिश्र ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव का महत्व पूरे भारतवर्ष में अधिक है, यह किसी जाति का यह धर्म का त्यौहार नहीं बल्कि पूरे भारत का त्यौहार है और पूरा भारत इस महोत्सव को मना रहा क्योंकि आजादी की लड़ाई में कोई विशेष धर्म या जाति नहीं लड़ी थी बल्कि सभी भारत वासियों ने एक साथ संघर्ष किया था और आजादी प्राप्त की थी। आज़ाद जी की जयंती के दिन आज हम आज पोस्टर प्रदर्शनी व गोष्ठी के माध्यम से माँ भारती के सच्चे सपूत  को  श्रद्धांजलि दे रहे है, सभी छात्र छात्राओं को उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रेरणा लेना चाहिए ।


इस अवसर पर पर संचालन प्रो मनोज ने व धन्यवाद ज्ञापन प्रो  संजय ने किया । इस अवसर पर प्रो इशरत, प्रो अमित, प्रो राजीव, प्रो अरुण,डा भावना, डा हेमंत, डा ब्रजेश, डा संजय, डा हर्ष, सुनील, रंजित, राहुल, सुजीत के साथ लगभग 300 छा,त्र व छात्राएँ उपस्थित रह कर प्रदर्शनी का अवलोकन किया.

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