Shaurya News India
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चन्दौलीः जिले के मिनी महानगर पं दीनदयाल उपाध्याय नगर स्थित लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के सभागार में गुरूवार को वीर सावरकर की जयन्ती मनाई गई. इस अवसर पर बोलते हुए प्रो इशरत जहां ने कहा कि वीर सावरकर ने राष्ट्रध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र लगाने का सुझाव सर्वप्रथम दिया था जिसे राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने स्वीकार किया. उन्होंने ही सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का लक्ष्य घोषित किया था. वे पहले राजनीतिक बंदी थे जिन्हें फ्रांस भूमि पर बंदी बनाने के कारण हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा पहुंचा. 
डा विवेक सिंह ने उन्हें याद करते हुए कहा कि अंडमान जेल में रहते हुए वीर सावरकर ने कोयले से कविताएं लिखीं. इस प्रकार याद की हुई 10 हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा. इस अवसर पर उन्होंने उनकी पुस्तक 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857  का ज़िक्र किया जिसने ब्रिटिश शासन को हिला डाला था. प्रो दीनबंधु तिवारी ने कहा कि  वे मज़बूत इरादे वाले व्यक्ति थे जिसका उदाहरण ये है कि वीर सावरकर सर्वप्रथम भारतीय विद्यार्थी थे. जिन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया जिसका परिणाम ये रहा कि उन्हें वकालत करने से रोक दिया  गया. 
इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के लोगों ने हिन्दी विभाग में आयोग द्वारा नवनियुक्त प्राध्यापिका डॉ विजयलक्ष्मी वर्मा का स्वागत किया और उनके आगामी दायित्व हेतु शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर प्रो राजीव, प्रो अमित, डा गुलज़बी, डा संजय, डा शाकिब, रंजीत, राहुल आदि उपस्थित रहे..
 

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