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वाराणसीः मां गंगा संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने वाली भारत की शाश्वत पहचान हैं गंगा हमारी अस्मिता हैं. पतित पावनी जान्हवी के तट पर हजारों ऋषि मुनि श्लोक रची हैं की गंगा हमें अन्न धन से परिपूर्ण करती हैं. गंगा से हमारे जीवन की डोर जुड़ी है और मृत्यु होने पर भी मुक्ती को प्राप्त कर देती हैं गंगा हमारी आस्था धरोहर हैं गंगा हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान है. गंगा न केवल जल देते हैं बल्कि पोषण एवं रोजगार का अवसर भी देती हैं

नदियों के बिना किसी भी सभ्यता का विस्तार नहीं हो सकता गंगा नदी भारत की सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक हैं जो राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का काम करती है. आज भी हम मां रूपी गंगाजल में तमाम हानिकारक रसायन उद्योग धंधों के प्रदूषित जल और मानव अपना मल मूत्र एवं कूड़ा कचरा गंगा जी में प्रवाहित करते हैं. गंगा पुत्रों का क्या मां के प्रति यही दायित्व है अब समय आ गया है कि हम अपने संस्कृति को बचाने के लिए कटिबद्ध हो जाएं .


रिपोर्ट- मंजू द्विवेदी


 

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