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भदोहीः औराई क्षेत्र के भवानीपुर बरजी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के ज्ञानयज्ञ संगीतमय प्रवचन में कथावाचक कुणाल महराज ने कहा कि परमात्मा की जिस पर दृष्टि पड़ जाती है उसका सारा पाप समाप्त हो जाता है। इसलिए भगवान ने विभिन्न अवतारों में तमाम पापियों और राक्षसों का वध करके उनको मुक्ति प्रदान किया क्योकि भगवान का क्रोध भी कल्याण कारी होता है। कहा कि विचारों का परिवर्तन बहुत तेजी से होता है। चाहे कोई शत्रु हो लेकिन वह कोई एक अच्छा कार्य कर दिया तो उसके प्रति भी विचार बदल जाते है। मनुष्य को जब अहंकार होता है तो भगवान उसका स्वयं नाश करते है।

महाराज ने कहा कि भगवान केवल भाव के भूखे है बिना भाव के भगवान किसी भी पूजा सामग्री बेकार है। प्रह्लाद जैसी भक्ति होने पर भगवान पत्थर में प्रकट होते है यह तभी संभव है सच्चा गुरू मिलता है। क्योकि बिना गुरू के ज्ञान और भगवनप्राप्ति संभव नही है। कहा कि काशी और प्रयाग के मध्य जन्म होना बडे ही सौभाग्य की बात है। इसलिए मानव जीवन के लक्ष्य को ध्यान में रखकर आत्मा को परमात्मा से मिलाने का प्रयास करना चाहिए। जब तक भगवान नही चाहते तब तक कोई नाच नही सकता है।

कहा कि जीव चाहे जिस देवी देवता को प्रणाम करता है वह सारा प्रणाम भगवान के चरणों में ही जाता है। इसलिए मानव को भगवान के भक्ति में सतत प्रयास करना चाहिए। कहा कि लोग माया के चक्कर में लोग परेशान होकर भक्ति पूजा नही कर पाते। जबकि इस लोक में तो लोग चाहे जैसे रह सकते है लेकिन पारलौकिक कर्म भी करना चाहिए। भक्ति ब्रह्मा के हाथ में नही है। भक्ति पाने के लिए भक्ति करना पड़ेगा। जीवन में भगवान को प्राप्त करने के लिए भगवान के तरफ जाना ही पड़ेगा। भगवान की भक्ति भाव से करें तो भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होगी। इस मौके पर राधेश्वर मिश्रा, संजय मिश्रा, राहुल मिश्रा, अभिजीत उर्फ चंदन मिश्रा,  नंदलाल पाण्डेय, वकील दूबे, वैभव, अथर्व, लल्लन दूबे समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट- विजय तिवारी

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