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वाराणसीः प्रभारी विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए) की अदालत में कल 21 जुलाई को म0प्र0 के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ दाखिल परिवाद में सुनवाई हुई। गुरूवार को कोर्ट ने वादी का बयान दर्ज करने के लिए अगली तारीख 21 जुलाई नियत की थी।

दिग्विजय सिंह के खिलाफ दाखिल मुकदमे में आज वादी का शशांक शेखर त्रिपाठी अधिवक्ता का बयान एमपी एमएलए कोर्ट  विशेष मुख्य न्यायिक  मजिस्ट्रेट उज्जवल उपाध्याय की अदालत में  हुआ, गवाहों के बयान के लिए 26 /07/2023 की तिथि नियत की गई।

शनिवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के खिलाफ वाराणसी कोर्ट ने परिवाद स्वीकार कर लिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के खिलाफ टिप्पणी पर अधिवक्ता की ओर से परिवाद दाखिल किया गया। अदालत में परिवाद दाखिल करने वाले अधिवक्ता व भाजपा काशी क्षेत्र के विधि प्रकोष्ठ के संयोजक शशांक शेखर त्रिपाठी ने सीजेएम/एमपी-एमएलए उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट में परिवाद दाखिल किया था। अधिवक्ता के अनुसार आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर के खिलाफ दिग्विजय सिंह ने कूटरचित फोटो व भ्रामक तथ्यों का प्रकाशन व प्रसारण सोशल मीडिया पर किया।

ऐसा करके सामाजिक विद्वेष पैदा कर संघ की सामाजिक छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया। दिग्विजय सिंह का कृत्य समाज में विद्वेष फैलाने और सामाजिक सद्भावना बिगाड़ने के साथ ही देश की संप्रभुता, एकता व अखंडता को प्रभावित करने वाला है। अपमानजनक व अमर्यादित टिप्पणी से भाजपा, आरएसएस, भारत व यूपी सरकार अपमानित है। जज ने बयान दर्ज करने के लिए 21 जुलाई की तिथि नियत की थी जिस पर कल सुनवाई होगी।

कोर्ट को याचिका में बताया गोलवलकर का जीवनकाल

गुरु गोलवलकर का पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव समाप्त करने में लगा रहा। परिवाद में यह भी कहा गया कि माधव सदाशिवराव गोलवलकर की एक किताब का हवाला देकर दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा है कि यदि सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन-संपत्ति, राज्यों की जमीन, और जंगल अपने दो-तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दें।

95 फीसदी जनता को भिखारी बना दें। इसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी। परिवादी ने कोर्ट से आईटी एक्ट और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विपक्षी को तलब कर विधिक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। परिवादी के अनुसार, इस मामले को लेकर बीते 10 जुलाई को कैंट थाने की पुलिस को आवेदन दिया गया था। कोई कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया।

रिपोर्ट- जगदीश शुक्ला

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