वाराणसी/रोहनियांः मानवाधिकार CWA संस्था के झारखंड प्रभारी व नगर अध्यक्ष सहदेव प्रताप सिंह ने कहा कि बालश्रम, बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेता है और पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकलने देता. पिछले कुछ सालों से बाल श्रमिकों की दर में कमी आई है. इसके बावजूद बच्चों को कुछ कठिन कार्यों में अभी भी लगाया जा रहा है, जैसे बंधुआ मजदूरी, बाल सैनिक (चाइल्ड सोल्जर) और देह व्यापार. भारत में विभिन्न उद्योगों में बाल मजदूरों को काम करते हुए देखा जा सकता है. जैसे ईंट भट्टों पर काम करना, गलीचा बुनना, कपड़े तैयार करना, घरेलू कामकाज, खानपान सेवाएं (जैसे चाय की दुकान पर) खेतीबाड़ी, मछली पालन और खानों में काम करना आदि.
इसके अलावा बच्चों का और भी कई तरह के शोषण का शिकार होने का खतरा बना रहता है. जिसमें यौन उत्पीड़न तथा ऑनलाइन एवं अन्य चाइल्ड पोर्नोग्राफी शामिल है. बाल मजदूरी और शोषण के अनेक कारण हैं जिनमें गरीबी, सामाजिक मापदंड, वयस्कों तथा किशोरों के लिए अच्छे कार्य करने के अवसरों की कमी, प्रवास और इमरजेंसी शामिल हैं. ये सब वज़हें सिर्फ कारण नहीं बल्कि भेदभाव से पैदा होने वाली सामाजिक असमानताओं के परिणाम हैं.
बच्चों का काम स्कूल जाना है न कि मजदूरी करना, बाल मजदूरी बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेती है और वे पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाते हैं. बाल मजदूरी शिक्षा में बहुत बड़ी रुकावट है, जिससे बच्चों के स्कूल जाने में उनकी उपस्थिति और प्रदर्शन पर खराब प्रभाव पड़ता है. बाल मजदूरी तथा शोषण की निरंतर मौजूदगी से देश की अर्थव्यवस्था को खतरा होता है और इसके बच्चों पर गंभीर अल्पकालीन और दीर्घकालीन दुष्परिणाम होते हैं. जैसे शिक्षा से वंचित हो जाना और उनका शारीरिक व मानसिक विकास ना होने देना. बाल तस्करी भी बाल मजदूरी से ही जुड़ी है जिसमें हमेशा ही बच्चों का शोषण होता है.
महिला प्रमुख रेनू सिंह ने भी बाल श्रम और शोषण पर कहीं अपनी बात
मानवाधिकार CWA संस्था की महिला प्रमुख रेनू सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि बच्चों को शारीरिक, मानसिक, यौन तथा भावनात्मक सभी प्रकार के उत्पीड़न सहने पड़ते हैं जैसे बच्चों को वेश्यावृति की ओर जबरदस्ती धकेला जाता है, शादी के लिए मजबूर किया जाता है या गैर-कानूनी तरीके से गोद लिया जाता है, इनसे कम और बिना पैसे के मजदूरी कराना, घरों में नौकर या भिखारी बनाने पर मजबूर किया जाता है और यहां तक कि इनके हाथों में हथियार भी थमा दिए जाते हैं. बाल तस्करी बच्चों के लिए हिंसा, यौन उत्पीड़न तथा एच आई वी संक्रमण (इंफेक्शन) का खतरा पैदा करती है. बाल मजदूरी तथा शोषण एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से रोके जा सकते हैं जो बाल सुरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने के साथ-साथ गरीबी तथा असमानता जैसे मुद्दों, गुणात्मक शिक्षा के बेहतर अवसरों, और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए जन सहयोग जुटाने में मदद करते हैं.
बाल मजदूरी और शोषण को लेकर वाराणसी जिला उपाध्यक्ष ने की कड़ी निंदा
मानवाधिकार CWA के वाराणसी उपाध्यक्ष अविनाश कुमार सिंह ने भी कड़े शब्दों में बाल मजदूरी और शोषण की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बाल मजदूरी समाप्त करने में बच्चों की बात सुनना सफलता के लिए बेहद जरूरी है. बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन का एक प्रमुख संदेश यह है कि बच्चों के पास उन्हें प्रभावित करने वाले मामलों पर अपने विचार रखने और उन्हें सुने जाने का अधिकार है. बाल मजदूरी रोकने तथा उसके प्रत्युततर में बच्चों की अहम भूमिका होती है. बाल संरक्षण में वे प्रमुख कारक होते हैं और बहुमूल्य जानकारी दे सकते हैं कि उनकी क्या भागीदारी होनी चाहिए और उन्हें सरकार तथा समाज सुधारकों से क्या अपेक्षाएं हो सकती हैं.