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Varanasi: प्रदेश सरकार की महत्वाकांछी गौशाला निर्माण योजना की हकीकत दावों के विपरीत है। जिले में विकासखंड चोपन अंतर्गत ग्राम पंचायत बनारी के टोला परासपानी में ग्राम सभा की भूमि पर लगभग डेढ़ बीघे में गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण ग्राम पंचायत स्तर पर सेक्रेटरी और पूर्व ग्राम प्रधान के देखरेख में कराया गया था.
जिसकी धज्जियां उ कब्जे में ब्रैकेटिंग कर अपने सब्जी का निर्माण वह अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग में लाया जा रहा है ड़ाई जा रही है सिर्फ एक व्यक्ति को देखकर ही महज खानापूर्ति करते हुए उन्हें को सारी सुविधाएं दी जा रहे हैं. ग्राम पंचायत में जहां गोवंश अस्थल का निर्माण कराया गया है वहीं पर किसी भी जाति के लोगों को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है.
आपको बताते चलें कि सोनभद्र का यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के नाम से जाना जाता है जहां गोवंश स्थल पर आदिवासियों के ही जानवर नहीं रखे जा रहे । तथा पानी पीने के लिए उसे मार कर हटाया भी जाता है यह प्रश्न उठता है कि क्या केवल एक ही जाति के व्यक्ति या एक ही व्यक्ति के लिए गोवा स्थल का निर्माण कराया गया है। वहीं सरकार द्वारा भूसा-चारा खिलाने के नाम पर राशि का आवंटन किया जा रहा है।
यहां तक कि ग्रामीणों ने बताया कि हम सभी के जानवरों को पानी तक पीने नहीं दिया जाता ।और जहां सौर पम्प लगाया गया है पानी की सुविधा को देखते हुए उसे कब्जे में ब्रैकेटिंग कर अपने सब्जी बोना तथा अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग में लाया यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं ग्राम प्रधान ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की मिलीभगत का नतीजा हैं।
रिपोर्ट- अशोक कनौजिया