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Varanasi: बनारस रेल इंजन कारखाना, वाराणसी में राजभाषा पखवाड़ा - 2022 के अंतर्गत सोमवार को कीर्ति कक्ष में भारतीय भाषा संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं के विभिन्न भाषा-भाषी बरेका कर्मी अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बरेका के मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं मुख्य विद्युत इंजीनियर, निरीक्षण श्री अनंत सदाशिव ने भारतीय भाषाओं को एक मंच पर लाकर उनके साहित्यकारों का स्मरण करने के साथ-साथ उन भाषाओं की रचनाओं में उद्धृत प्रसंगों, उसकी गंभीरता और गहनता को सहज रूप से प्रस्तुत करने के इस कार्यक्रम को अतुलनीय और अनुकरणीय बताया.

आरंभ में वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी डॉ. संजय कुमार सिंह ने अभ्यागतों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी की प्रस्तावना रखते हुए बताया कि राजभाषा हिंदी के साथ-साथ सभी भारतीय भाषाएं एक दूसरे की पूरक और क्षेत्रीय आवश्यकताएं हैं. अरविंद कुमार तिवारी द्वारा विशाखदत्त रचित मुद्राराक्षस के संस्कृत श्लोकों से संगोष्ठी का आरंभ हुआ.
सुरेश पी. नायर ने मलयालम भाषा में श्रीमती सुगना कुमारी की रचना कृष्णा नी एन्ने अरियिल्ला प्रस्तुत किया। श्रीमती करुणा सिंह ने मैथिली भाषा में विद्यापति की शिव वंदना प्रस्तुत किया. पारीजा रंजन ने उड़िया भाषा में उत्कलमणि गोपाबंधु दास की रचना मिस मोरा देहा ए दशा माटीरे कविता प्रस्तुत की.


यास्मीन फातिमा ने उर्दू में साहिर लुधियानवी की नज़्म आज भी बूंदे बरसेंगी आज भी बादल छाएंगे प्रस्तुत किया. रविंद्र नाथ सोरेन ने संथाली भाषा में पंडित रघुनाथ मुर्मु की चितार रियाग सेरेज शीर्षक की कविता प्रस्तुत की. एम. भावना ने तमिल में ओवैयार की रचना आथिचुडी प्रस्तुत किया.


प्रशांत चक्रवर्ती ने बंगाली भाषा में सुकुमार राय की रचना एकुशे आईन प्रस्तुत किया. संतोष कुमार पाण्डेय ने गुजराती में नरसी मेहता की रचना मारी हुंडी स्वीकारो महाराज प्रस्तुत किया. अंत में डॉ. सुनीता तिवारी ने हिंदी में नागार्जुन की कविता कालिदास सच-सच बतलाना प्रस्तुत किया.


कार्यक्रम और संगोष्ठी का संचालन वरिष्ठ अनुवादक अमलेश श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ अनुवादक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने किया. इस अवसर पर बरेका के अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे.

 

रिपोर्ट- शांतनू चक्रवर्ती

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