मथुराः उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ तथा जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा के निर्देशानुसार राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), मथुरा का आकस्मिक निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता नीरू शर्मा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा की गयी. इस अवसर पर राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), मथुरा के अधीक्षक हरीशचंद्र वर्मा उपस्थित मिले.
राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) के अधीक्षक हरीशचंद्र वर्मा द्वारा बताया गया कि राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), मथुरा में आज कुल 46 किशोर निरूद्ध हैं, जिनमें जनपद मथुरा के 20 तथा हाथरस के 26 किशोर हैं.
अधीक्षक द्वारा बताया गया कि किशोरों की शिक्षा हेतु अध्यापक नियुक्त हैं. आज निरीक्षण के दौरान अध्यापक नरेंद्र सिंह व अंशुमान भारद्वाज किशोरों को पढ़ाते हुए पाए गए. निरीक्षण दौरान अधीक्षक द्वारा बताया गया इस संस्था से दो किशोर दसवीं तथा दो किशोर 12वीं की बोर्ड परीक्षा में इस वर्ष सम्मिलित होंगे, इसके अतिरिक्त वर्तमान में दो किशोर 11वीं की परीक्षा दे रहे हैं. संस्था में निरूद्ध किशोरों को संस्था में रहते हुए मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण प्रदान कराया जाता है तथा एल.ई.डी. बल्ब बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. सदन में साफ सफाई उचित पाई गई.
कुछ किशोर अपने कमरों में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे. किशोरों द्वारा उनके पास व्यक्तिगत अधिवक्ता होना बताया गया. अधीक्षक को निर्देशित किया गया कि ऐसे किशोर जिनको निशुल्क विधिक सहायता हेतु अधिवक्ता की आवश्यकता हो, ऐसे किशोर का प्रार्थना पत्र अविलम्ब कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रेषित करना सुनिश्चित करें. सदन में खाने-पीने रहने की किसी भी समस्या से किशोरों द्वारा अवगत नहीं कराया गया. संस्था की सुरक्षा हेतु होमगार्ड तैनात हैं जिन्हे प्रत्येक चिन्हित स्थानों पर लगाया गया है. प्रभारी द्वारा बताया गया कि किशोरों को मीनू के अनुसार नाश्ता व भोजन दिया जाता है.
विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा नीरू शर्मा द्वारा बताया गया कि कोविड-19 में जो बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं उनके जीवन को संवारने के लिए उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना-2021 का शुभारम्भ किया गया है. इस तत्परता का मूल उद्देश्य परेशान बच्चों को तत्काल मदद पहुँचाना है और उनको गलत हाथों में जाने से बचाना है. इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्थाओं का पूरा ख्याल शासन के द्वारा रखा जायेगा. किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम के सम्बंध में विस्तार पूर्वक बताया गया.
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उपस्थित किशोरों को निःशुल्क विधिक सहायता के सम्बंध में बताते हुए कहा कि यदि किसी किशोर को निःशुल्क विधिक सहायता हेतु अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो वह संस्था के अधीक्षक के माध्यम से अपना प्रार्थनापत्र प्रस्तुत कर सकता है. उपस्थित किशोरों को पोक्सो अधिनियम के सम्बंध में भी जानकारी दी गई. किशोरों से पृथक-पृथक वार्ता की गई. किशोरों की विधिक समस्याओं को सुना गया व उनके निराकरण हेतु अधीक्षक को उचित सुझाव दिये गये.
रिपोर्ट- आरती यादव