Shaurya News India
इस खबर को शेयर करें:

उत्तर प्रदेशः भारत वर्ष में जन्माष्टमी का त्योहार बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जता है, शास्त्रों के अनुसार आज ही के दिन कृष्ण जी का जन्म हुआ था. इस दिन इंतजार भक्तगण बेसब्री से करते है, काली अंधेरी आंधी और तूफान के बीज कृष्ण जी जन्मे थे इस दिन देवी देवताओं सहती ऋषि मुनियों ने इनकी आगमन की खुशी मनायी थी. हर साल की तरह इस बार भी जन्माष्टमि का पर्व दो बार पड़ा है 18 अगस्त को और 19 अगस्त को तो आईए जानते हैं की जन्मआष्टमि कब है. 

तिथि- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. माना जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.  पूजा की अवधि 18 अगस्त को रात 12 बजकर 3 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. ऐसे में पूजा करने के लिए कुल 44 मिनट का समय मिलेगा. वहीं,  पारण 19 अगस्त सुबह 5 बजकर 52 मिनट के बाद होगा. नक्षत्रों के अनुसार इस साल 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी का व्रत रखा जाना चाहिए. 

भोग- श्री कृष्ण को माखन अति प्रिय था इसलिए उनके भोग माखन अवश्य रखना चाहिए, तुलसी कृष्ण को बेहत प्रिय है इसलिए पूजा और भोग में तुलसी का प्रयोग करे, पंचामृत के बिना श्री कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है, मखाने से बना खीर, मेवा मिश्री,  धनिया पंजीरी, काजू बदाम का प्रयोग उनके भोग को बनाने में करे, धी का इस्तेमाल उनके पूजा में जरूरी माना गया है. अपनी इच्छा अनुसार गाय के दूध से बना कोई भी सामग्री को अर्पित कीजिए अपने श्रद्धा से उनको सब स्वीकार है.


गोकुल और वृंदावन के गलियों में पले बढ़े कृष्ण, यंहा उनकी कई रोचक कहानियाँ मौजूद है माखन चुराने से लेकर, मटकी फोड़ने तक कृष्ण की लीला अपरम्पार रही है, राधा कृष्ण के प्रेम की मिसाल तो कलयुग में भी प्रचलीत है. अपने मामा कंस का वध करने के बाद कृष्ण मथूरा में बस गए, बरसाना में कृष्ण के मुरली की धुन, गाय माता के प्रति कृष्ण का लगाव यह सब आज भी भक्तों के दिलों में बसता है. मथूरा, वृंदावन, बरसाना में जन्माष्टमी का त्योहार बड़े  हर्षोल्लास के साथ मनाते है भक्त इस दिन कृष्ण की नगरी में द्रशन के लिए आना चाहते है.    

रिपोर्ट- श्वेता सिंह  

इस खबर को शेयर करें: