नई दिल्लीः दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर CBI ने शराब घोटाले मामले में शुक्रवार को करीब 14 घंटे छापेमारी की. इस दौरान CBI की टीम ने डिप्टी सीएम के घर से सीक्रेट डॉक्यूमेंट भी बरामद किए. वहीं लैपटॉप और मोबाइल भी जब्त कर लिया है. जिसके बाद मनीष सिसोदिया ने भी शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
मनीष सिसोदिया पर एफआईआर दर्ज हो गई है. इस केस में कुल 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें उप मुख्यमंत्री को मुख्य आरोपी के तौर पर पेश किया गया है.
CBI छापों के बीच मनीष सिसोदिया ने कहा कि जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डालने की तैयारी है. सिसोदिया ने दिल्ली की एक्साइज स्कीम के लिए कहा कि ये स्कीम अच्छी है. साथ ही सीबीई की टीम की भी तारीफ की. सिसोदिया ने कहा कि उनके घर रेड मारने आए सारे अधिकारी अच्छे थे. उन्होंने किसी किस्म की तकलीफ नहीं होने दी. इस दौरान सिसोदिया ने दिल्ली की शराब नीति की भी तारीफ की.
कई धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला
मिली जानकारी के मुताबिक, CBI ने अपनी एफआईआर में मनीष सिसोदिया पर इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 120B, 477A और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया है.
CBI की एफआईआर में ये नाम है शामिल
वहीं, शराब घोटाले में सिसोदिया के अलावा पूर्व आबकारी अफसरों पर भी गाज गिरी है. इसमें कुल 15 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. इतना ही नहीं जांच एजेंसी आगे कुछ और लोगों के नाम भी FIR में जोड़ सकती है.
1- मनीष सिसोदिया, डिप्टी सीएम, दिल्ली
2- विजय नैयर, CEO, एंटरटेनमेंट इवेंट मैनेजमेंट कंपनी, मुंबई
3- आनंद तिवारी, एक्साइज डिप्टी कमिश्नर
4- पंकज भटनागर, असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर
5- आर्व गोपी कृष्ण, तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर
6- मनोज राय, पूर्व कर्मचारी, पेर्नोड रेकोर्ड
7- अमनदीप ढाल, डायरेक्टर, ब्रिंडको सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, महारानी बाग
8- समीर महेंद्रु, मैनेजिंग डायरेक्टर, इंडोस्प्रिट ग्रुप, जोरबाग
9- अमित अरोड़ा, बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, डिफेंस कॉलोनी
10- बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड
11- दिनेश अरोड़ा, गुजरावाला टाउन, दिल्ली
12- महादेव लिकर, ओखला इंडस्ट्रियल एरिया
13- सनी मारवाह, महादेव लिकर
14- अरुण रामचंद्र पिल्लई, बंगलुरु, कर्नाटक
15- अर्जुन पांडेय, गुरुग्राम फेस-3, डीएलएफ
सिसोदिया पर दो बड़े आरोप
जब एक्साइज डिपार्टमेंट ने शराब की दुकान के लिए लाइसेंस जारी किए तो इस दौरान मनीष सिसोदिया द्वारा कुल निजी विक्रेता को 144 करोड़ 36 लाख रुपये का फायदा पहुंचाया गया क्योंकि इस दौरान इतने रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी. इससे सरकार को नुकसान हुआ.
दूसरा आरोप
उन्होंने कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना और उप-राज्यपाल के बिना फाइनल अप्रूवल के कई बड़े फैसले लिए.