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वाराणसी: आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर मंगलवार को लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय में रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला पर आधारित छाया चित्र प्रदर्शनी व "रामनगर की रामलीला इतिहास परम्परा एवं वर्तमान" विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया.
प्रर्दशनी में वाराणसी के युवा छायाकार बलराम यादव और अरविन्द मिश्रा के लगभग 40 छायाचित्र प्रर्दशित किए गए हैं, जो रामनगर की रामलीला के विविध पक्षों पर सुन्दर प्रकाश डालते हैं. अत्यंत मनोहारी चित्रों को दर्शकों ने खूब सराहा.
यह प्रर्दशनी 1अक्टूबर तक प्रात:10बजे से सायं 5 बजे तक पर्यटकों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी. इस क्रम काशीकथा के संपादक डा अवधेश दीक्षित ने रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला के इतिहास, परम्परा और चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला.
रामनगर की रामलीला स्वयं में लगभग तीन शताब्दी का इतिहास और परम्परा को संरक्षित किए हुई है. वर्तमान में कुछ समर्पित लोगों के माध्यम से यह प्रदर्शित हो रही है. इसके इस स्वरूप को विश्व प्रसिद्ध बनाने में काशी नरेश के साथ साथ यहां के प्रबुद्ध जन और अपनी परम्परा के प्रति जागरूक जनता का भी योगदान है.
इस महान आयोजन के परंपरागत स्वरूप को संरक्षित किया जाना आवश्यक है, जिसमे सबकी सहभागिता आवश्यक है। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. अपने उद्बोधन में मा० आचार्य ने कहा कि जन सहभागिता से ही हम अपनी सांस्कृतिक विरासतों को सुरक्षित और संरक्षित कर सकते हैं।रामनगर की रामलीला एक अद्भुत आयोजन है। इसका पारंपरिक रूप बनाए रखना आवश्यक है। अतिथियों का स्वागत व कार्यक्रम का संयोजन क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी वाराणसी क्षेत्र डा० सुभाष चन्द्र यादव ने किया। इस अवसर पर मधुकर पाण्डे, सुनील कुमार, डा० विवेकानंद, अनिरुद्ध पांडे, अजय कुमार मिश्र, बलराम यादव, अरविन्द मिश्रा, विनय मौर्य, वीरेंद्र मौर्य, प्रशान्त राय, पंचबहादुर, मनोज कुमार, संतोष कुमार सिंह, महेंद्र लाल आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- अनन्त कुमार