वाराणसीः रामलीला में श्री राम और माता सीता के शादी की तैयारी शुरू हो गई है, राम जी ने शिव धनुष तोड़ संवर को जीत लिया है. राज जनक अपने दामाद के रुप में राम जी को पा के खुश है. वहीं, माता सीता के चेहरे पर भी मुस्कान है. जैसे वर की कामना उन्होनें की थी वैसा वर उन्हें मिल चुका है. आज पूरी नगरी खुशी में डूबी हुई है.
विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के पांचवें दिन का प्रसंग में धनुष भंग और परशुराम स्वयंवर की लीला देखने को मिली. रंगभूमि आने का आमंत्रण मिलने पर राम और लक्ष्मण मुनि के साथ रंगभूमि पहुंचे जहां उन्हें आमंत्रित राजाओं की श्रेणी में सबसे उच्च स्थान पर बैठाया गया. राजा जनक भाट को बुलाकर अपना प्रण सभी को बताते हैं. उनके प्रण को सुनकर सभी राजा धनुष उठाने का प्रयास करते हैं लेकिन वह उठा नहीं पाते हैं.
यह देख कर जनक व्याकुल हो जाते हैं और कहते हैं कि यदि मैं जानता कि पृथ्वी वीरों से खाली हो गई है तो मैं यह प्रण कभी न करता. मुनि विश्वामित्र राम को धनुष तोड़ने का संकेत देते हैं. गुरु की आज्ञा पाकर उन्हें मन ही मन प्रणाम करके राम धनुष को उठा लेते हैं और पल भर में उसकी डोरी खींच कर उसे तोड़ देते हैं.
सीता सखियों के साथ जाकर राम के गले में जय माल डाल देती हैं. इधर शिव धनुष टूटने का समाचार पाकर परशुराम क्रोध से व्याकुल होकर जनक के पास पहुंचते हैं और उन्हें भला-बुरा कहने लगते हैं. यह देखकर लक्ष्मण उनसे उलझ जाते हैं और कठोर वचन बोलने लगते हैं. इस पर श्रीराम हस्तक्षेप करते हैं और उनके क्रोध को शांत कर देते हैं.
परशुराम अपना धनुष देकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ाने को कहते हैं. राम के ऐसा करते ही परशुराम को विश्वास हो जाता है कि राम के रूप में पृथ्वी पर भगवान का अवतार हो चुका है. विश्वामित्र की आज्ञा से जनक अपने दूत से राजा दशरथ को बारात ले कर आने का निमंत्रण भेजते हैं. जनकपुर में राम और सीता के विवाह की तैयारी शुरू हो जाती है. यहीं पर आरती के बाद लीला को विश्राम दिया जाता है.