Shaurya News India
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Varanasi : रैपिड सर्वे रिपोर्ट एवं आरक्षण में मनमाना पन की शिकायत सपा समय समय पर करती रही है मगर विपक्ष की शिकायत व आवाज को दबाने का प्रयास किया गया. भाजपा सरकार ने पिछड़े वर्गों के हितों की अनदेखी जानबूझकर की है। नगर निकाय चुनाव के पूर्व कमल की फुल वाली सरकार ने व्यापारीयो के उपर G.S.T.का छापे की कार्रवाई से सरकार डर गई है एवं नगर निगम के चुनाव मे अपने हार की डर से सरकार भयभीत है।

निकाय चुनावों में हार के डर से षड्यंत्र रच कर त्रुटिपूर्ण चुनावी व्यवस्था की गई, ताकि हार से भी बचा जा सके और पिछड़ों को भागीदारी से रोका जा सके.


भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमेशा पिछड़ा वर्ग विरोधी रही है। इसकी कलाई उत्तर प्रदेश की जनता ने मैनपुरी व खतौली में उतार दी तथा रामपुर में सरकारी तंत्र ने जीत छीनी है, जनता नाराज है.


निकाय चुनाव में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पिछड़े वर्गों के आरक्षण के कृष्णमूर्ति केस के ट्रिपल टेस्ट का हवाला देते हुए पिछड़े वर्गों के आरक्षण को रोका गया जबकि भाजपा सरकार को इस व्यवस्था का भली-भांति ज्ञान था। तमाम न्यायिक व्यवस्थाएं कह रही थी कि राज्यों के निर्वाचन आयोग को पिछड़े वर्गों का आंकड़ा जातिगत रूप से होना चाहिए, लेकिन दूसरी बार बनी भाजपा सरकार जातिगत आंकड़ों से परहेज कर रही है और कानून की आड़ में पिछड़े वर्गों की पीठ में छुरा भोंक रही है। 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तैयारी ना करके एक तीर से दो शिकार किए गए हैं एक तरफ पिछड़े वर्गों को भागीदारी से रोक दिया गया और दूसरी तरफ प्रकरण को कानूनी विवाद में उच्चतम न्यायालय तक जाने का माहौल बना दिया ताकि सरकार चुनावों में जनता की अग्नि परीक्षा से बच सके।

उत्तर प्रदेश सरकार ने साबित कर दिया है वह सत्ता बचाने के लिए हर षड्यंत्र रचेगी और शातिराना अंदाज में पिछड़े वर्गों को राजनीतिक भागीदारी से भी रोकेगी ।रोजगार निजीकरण के हाथों खत्म किए और सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सहारे अपने फासिस्ट इरादे मजबूत कर रही हैं।

समाजवादी पार्टी इस सारे मामले में विधिक राय लेकर उच्चतम न्यायालय तक जाने में पीछे नहीं रहेगी सरकार से मांग करते हैं इस प्रकरण में अध्यादेश या विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पिछड़े वर्गों का निकाय चुनाव में आरक्षण सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

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