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राजस्थान : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्रा को उनके पद से हटा दिया गया। अनियमितता के आरोपों चलते उन्हें पद से हटाने का आदेश राजभवन की तरफ से जारी कर दिया गया।
इस बीच जांच को देखते हुए उन्हें डॉ.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय से अटैच भी किया गया है। वही लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय को AKTU के कार्यभार देखने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्रा ने बताया कि राजभवन ने उन्हें शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय से अटैच किया है। AKTU में हुए भ्रष्टाचार की शिकायतों पर बीते सोमवार को सख्त कदम उठाते हुए जांच के आदेश दिए थे। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एसएन अग्निहोत्री को निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहां था। वही इस मामले में कुलपति और कुलसचिव को भी पत्र भेज कर जांच में सहयोग करने की बात कही है।
यह था पूरा मामला
AKTU के पूर्व कुलपति प्रो.विनय पाठक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद से पूर्व और वर्तमान कुलपति के बीच तनातनी देखी जा रही थी। इस बीच परीक्षा कार्य बाधित होने के चलते AKTU के परीक्षा नियंत्रक और पूर्व कुलपति के करीबी रहे प्रो.अनुराग त्रिपाठी को प्रो.पीके मिश्रा ने हटा दिया था। इस बीच प्रो.विनय पाठक के अन्य करीबी IET के निदेशक प्रो. विनीत कंसल को भी कुलपति ने पद से हटा दिया था।पद से हटाए जाने के बाद अक्तु के परीक्षा नियंत्रक प्रो.अनुराग त्रिपाठी ने कुलपति के विरुद्ध राजभवन में शिकायत की थी। बाद में इसी प्रकरण में राजभवन ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज द्वारा जांच बैठाई गई थी।
इस मामले में कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा का कहना है कि परीक्षा विभाग में पहले जो कंपनी काम कर रही थी। उसके खिलाफ STF की जांच शुरू होने के बाद विश्वविद्यालय का परीक्षा संबंधित सभी काम ठप हो गया था। ऐसे में विश्वविद्यालय के रिजल्ट जारी कराने और नई कंपनी के चयन होने तक 3 महीने के लिए एक कंपनी का चयन कर परीक्षा परिणाम तैयार करवा कर जारी किया गया था। कुलपति ने बताया कि 'इसी पूरी कार्रवाई की शिकायत पूर्व परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी ने की थी। इसके बाद पहले एक जांच कमेटी गठित हुई अब राजभवन ने मुझे शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय से अटैच कर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति को कार्यभार की जिम्मेदारी सौंप दी है।
एक तरफा कार्रवाई से उठ रहे सवाल
वहीं दूसरी ओर अनियमितताओं को लेकर पूर्व कुलपति पर FIR दर्ज होने व पूरा मामला सीबीआई में जाने के बाद भी कार्रवाई ना होने से लगातार सवाल खड़े कर रहा हैं। विश्वविद्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में जो मुख्य आरोपी है उस पर आंखें मूंदे हुई हैं। वहीं मौजूदा कुलपति पर शिकायत होने पर कार्रवाई होना अचरज भरा हैं।