औराई विकास खंड के अमवा में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भागवत मर्मज्ञ डा. श्यामसुंदर पाराशर महाराज ने कहा कि श्री मद् भागवत से बहुत कुछ सीख मिलती है,कथा श्रवण से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैlमानव जीवन मे इसका अनुसरण करना चाहिएl पाराशर जी महाराज ने कथा के पांचवे दिन में भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीला का सजीव चित्रण किया,बाल स्वरुप की लीला की कथा सुन भक्त,अपने भगवान की भक्ति से ओत प्रोत नजर आएl
माखन लीला गोवर्धन व रासलीला का दर्शन कराते हुए कहा कि प्राकृतिक जीव माखन लीला को माखन चोरी लीला कहते हैं लेकिन जिन्हे हम ईश्वर मानते हैं वे चोरी कैसे कर सकते हैं आंतरिक दृष्टि से भगवान गौ पालक हैं तो गौ से ही दुग्ध माखन आदि प्राप्त होते है।जो कर के रूप मे कंस को दिया जाता था। भगवान ने विचार किया गौ का पालन हम ग्वाल बाल करते हैं तो उसका फल भी उन्हे ही प्राप्त होना चाहिए जिसके फलस्वरूप भगवान द्वारा माखन चोरी लीला की जाती है। गोवर्धन लीला का रसपान कराते हुए कहा कि भगवान भक्त के भीतर अभिमान नही देख सकते जब इंद्र को अपने इंद्रत्व का अभिमान हुआ तो भगवान को गोवर्धन लीला करनी पड़ी।और उन्होनें उक्त लीला करके प्रकृति की पूजा करायी।लीला आध्यात्मिक दृष्टि से गो का अर्थ इंद्रीय से है अर्थात अपनी इंद्रीयों को परमात्मा को समर्पित करना ही गोवर्धन लीला है। दूसरे भाव से देखा जाय तो गो का अर्थ गौ से है अर्थात गौ का संवर्धन ही गोवर्धन लीला है।
रास पर चर्चा करते हुए कहा कि रासलीला जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही रास है सांसारिक जीव रास मे काम का दर्शन करता है लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से रासलीला काम के विनाश की लीला है। क्योकि रासमंडल मे जितनी गोपिकाए हैं वह कोई साधारण मनुष्य नहीं बल्कि ऋषि रूपी गोपिकाएं हैं।
द्वापर से भगवान से मिलने के लिए गोकुल मे देव व ऋषि सभी अवतरित हुए थे। वे ही भगवान कृष्ण से रासमंडल मे मिलते हैं और एकरूप हो जाते हैं।यदि रास मे काम होता तो परम अवधूत बाबा भोलेनाथ उस रास मंडल मे नही आते क्योंकि वो पहले ही काम का विनाश कर चुके हैं। रास को दूसरे भाव से देखें तो निष्काम भक्ति से पुष्टि पुरूषोत्तम भगवान कृष्ण को पाया जा सकता है।इस मौके पर मुख्य यजमान कलक्टर मिश्र पत्नी सुधर्मा मिश्रा सहित
बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।यज्ञ एवं कथा में यजमान पं.कलक्टर मिश्र एवं सुरेन्द्र नाथ मिश्र डॉ.दयाशंकर मिश्र दयालु आयुष मंत्री "स्वतंत्र प्रभार पं.निखिलेश मिश्र,लोलार्क नाथ पाण्डेय, त्रयम्बकनाथ पाण्डेय योगेन्द्र प्रसाद मिश्र डॉ.ए.एन. सिंह,श्रीनिवास चतुर्वेदी,अरुण मिश्र, रुद्रपति दूबे, कृष्ण चंद दूबे,सुनील मिश्र,राजेश सिंह, गगन कुमार गुप्ता आदि रहेl
रिपोर्ट- जलील अहमद