Shaurya News India
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चंदौली। चकिया तहसील के शाहबगंज क्षेत्र के सिहोरिया स्थित  नूरी मस्जिद में रमजान में होने वाली विशेष नमाज पूरे अकीदत के साथ से पढ़ी गई और सोमवार की रात खत्म हुई। 
कुरान तराबी गांव में स्थित मदरसे के तालीबे इल्म हाफिज नुरैन साहब ने रमजान के 11वें दिन (तरावी) कुरआन को बखूबी सुनाया। अपने मदरसे के बच्चे के पीछे नमाज पढ़कर गांव वालो ने तराबी मुकम्मल की जिससे गांव वालो में खुशी दोगुनी देखने को मिली।
तरावी में हर उम्र के नमाजियों ने सैकड़ों की संख्या में पढ़ी और शवाब दारेन हासिल किया। इस अवसर पर ग्रामीणों ने मस्जिद के इमाम व जनाब हाफिज नुरैन साहब को फूलमालाओं से इस्तकबाल किया गया और तबरुक बाट कर दुआ की गई।
ओस्ताद हाफीजो व कारी जनाब अली अकबर साहब ने सराहते हुवे कहा आज आप लोग अपने ही बच्चे से कुरान तराबी सुने जो रात दिन आप के  गांव में ही  रहकर आप के मदरसे से ही तालिवे इल्म लिया और आज कुरान तराबी मुकम्मल किया।


आज के समय में देखा जाय तो यह बच्चा दीनी ऐतबार से तो कामयाब हो गया लेकिन दुन्याबी ऐतबार से कामयाब नहीं है हम अपने आप को उस दिन कामयाब समझेंगे जिस दिन यही बच्चे स्टेज पर एक तरफ अरबी उर्दू और साथ साथ इंग्लिश भी बोलते हुए नजर आयेंगे। उस दिन का आगाज हो चुका है इंसाअल्लाह आप बहुत जल्द देखेंगे आप के बच्चे इंग्लिश बोलते हुवे यह भी जानेंगे की मां बाप की खिदमत कैसे की जाती है। और नमाज रोजा जकात क्या होता है अपने से बड़ों की खिदमत कैसे की जाती है और मां बाप की मर्तबा क्या होता है।आगे उन्होने शायराना अंदाज में  कहा,सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं।


क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर चमन और भी आशियाँ और भी हैं अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं।


रमजान की फजीलत बयान करते हुवे उन्होने बताया बाकी दिनों में  एक आयत पढ़ने में 10 नेकिया मिलती हैं और रमजान में एक हर्फ सिर्फ अलिफ पढ़ने में सत्तर से ज्यादा नेकिया मिलती हैं आप सभी ने अलिफ से लेकर सीन तक सुन कर न जानें कितनी नेकीया अपने नाम कर ली।


यहां के निकले बच्चे न जाने कहा कहा जाकर मदरसा चलाने और कुरान पढ़ाने का कार्य कर रहे है।
और आप ये जान ले तराबी चांद देखकर शुरू होती हैं और ईद का चांद देखकर खत्म होती हैं। आप लोगो की संख्या में कमी तब तक नहीं होनी चाहिए जब तक ईद का चांद न दिख जाए आप जानबुझकर सूरह तराबी छोड़ेंगे तो गुनहगार होंगे।
इस मौके पर  तरावी की नमाज मुकम्मल की व बाद नमाज, दुनिया में शांति और खुशहाली की दुआ की। उन्होंने शरीयत पर चलने का आह्वान किया। कहा कि अल्लाह की।


रजा हासिल करने के लिए शरीयत सुरक्ष की पाबंदी करें। कुरान की तलावत  करें और रोजे रखें। कौम और देश की सलामी के लिए दुआ भी की गई। उपस्थित लोगों में तबर्रुक ( तक्सीम) वितरण किया  गया। इस मौके पर कलामुद्दीन शेख, बहालु शेख, रजीक अहमद, अजीबुद्दीन हवलदार शेख, अनीस बकाटू वैश सिद्दीकी, शेरू,भाई रिजवान अहमद, मेराज शेख असामुद्दी जौहर, शिब्बल नियाजुद्दीन मुदस्सिर अंसारी आदि उपस्थित रहे।


 

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