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प्रदेशः ओशो फाउंडेशन के ट्रस्टी की याचिका पर आदेश मुंबई हाई कोर्ट ने साफ किया कि अध्यात्मिक गुरु ओशो की समाधि के दर्शन पर कोई रोक नहीं किया गया है आए हुए अनुयायियों को दर्शन से जुड़े नियमों व परंपराओं का पालन करना होगा नियमों व परंपराओं के उल्लंघन में ज्वाइंट चैरिटी कमिश्नर व उप चैरिटी कमिश्नर के सामने  बातों को रखा जा सकता है और निश्चित तौर पर चैरिटी कमिश्नर मैरिट के आधार पर इस विषय पर आने वाले आवेदन पर निर्णय लिए जाएंगे |

हाईकोर्ट ने यह बात ओशो फाउंडेशन के ट्रस्टी मुकेश शारदा व मुकेश शारदा उर्फ स्वामी मुकेश भारती की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कहीं याचिका में मुख्य रूप से दर्शन से जुड़े पुराने आदेश को स्पष्ट करने की मांग की गई थी.

अगस्त 2022 में कहां गया था कि कोई भी अनुयाई ओशो के समाधि का दर्शन कर सकता है पुराने आदेश में समाधि की सुरक्षा को लेकर भी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे और बौद्धिक संपदा व अचल संपत्ति पर नए अधिकार के सृजन पर रोक लगाई गई थी . कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुर वाला व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने मौजूदा
मौजूदा याचिका पर सुनवाई की गई |

अधिवक्ता सुदीप नार्गोलकर व एस एस पटवर्धन ने स्पष्ट किया कि समाधि के दर्शन पर रोक नहीं लगाई गई है आने वाले अनुयाई माला पहन कर ना आए. और आश्रम में एंट्री के लिए प्रवेश शुल्क के लिए 950 रुपए तय किए गए हैं इसका सभी को पालन करना होगा

 वहीं प्रतिवादियों की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट अनिल अंतुडकर ने कहा कि यदि कोई अनुयाई आश्रम के भीतर जाने के बाद मेडिटेशन सेंटर व लाइब्रेरी तथा वहां के अन्य स्थानों पर जाने का इच्छुक नहीं है तो ऐसे अनुयाई से प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए |

हाईकोर्ट का आदेश दर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं

दलीलों के बाद खंडपीठ ने कहा कि जब हमने कहा है कि समाधि के दर्शन पर कोई रोक नहीं है लेकिन दर्शन से जुड़े नियमों व परंपराओं का सभी को पालन करना होगा |

इस पर ओशो फाउंडेशन के पूर्व ट्रस्टी
स्वामी चैतन्य कीर्ति ने कहा कि यदि कोई अनुयाई ओशो आश्रम और ओशो समाधि स्थल पर ओशो की माला पहन कर आता है तो उस पर आश्रम प्रबंधन की आपत्ती हैरान करती है हाईकोर्ट ने ऐसे किसी भी बात पर चैरिटी कमिश्नर के पास जाने को कहा है |

रिपोर्ट- मंजू द्विवेदी

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