जब इस संसार में इंसान काम क्रोध लोभ मोह अहंकार आदि मनोविकार के अधीन होकर दुखी एवं अशांत होकर परमात्मा शिव को पुकारता है, तब इस धरा पर ज्ञान सूर्य परमात्मा जो रूप में ज्योति बिंदु गुणों में सिंधु है ब्रह्मा विष्णु शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति परमपिता परमात्मा शिव जो देवों के भी देव महादेव जन्म मरण से न्यारे अशरीरी ज्योति स्वरूप परमपिता परमात्मा शिव जो नर से श्री नारायण और नारी से श्री लक्ष्मी बनाने वाले हैं ,इस धरा पर एक साधारण एवं वृद्ध तन का आधार लेकर नारियों को शिव शक्ति बनाकर इस जगत का उद्धार करवाते हैं और इस संसार से काम क्रोध लोभ मोह अहंकार रूपी अक ,धतूरा , भांग को अर्पित करने को बोलते हैं, जो मनुष्य आत्मा अपने अंदर के काम क्रोध लोभ मोह अहंकार रूपी अक धतूरा भांग को परमात्मा शिव पर समर्पित करके अपने को आत्मा निश्चय कर परमपिता परमात्मा शिव बाबा को याद किए उस मनुष्य का जीवन दिव्य गुणों से महक उठा अर्थात मनुष्य देवतुल्य बन गया इसी के यादगार में शिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है पुनः कलयुग के अंत और सतयुग के आदि बेला पुरुषोत्तम संगम युग में परमपिता परमात्मा शिव प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर ब्रह्माकुमारी बहनों के द्वारा भारत का प्राचीन राजयोग सिखाकर जीवन जीने की कला सिखा रहे हैं उक्त जानकारी ब्रह्माकुमारी राजयोग प्रशिक्षण केंद्र शाखा रामनगर की संचालिका ब्रह्माकुमारी संगीता दीदी जी ने दिया उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में पधारे.
इस दौरान कहा गया कि जीवन में सफलता के लिए आध्यात्मिकता की जरूरत है.
आध्यात्मिकता का अर्थ ही है मूल्यों के स्रोत परमपिता परमात्मा से मानसिक संबंध जोड़ना जिसे सहज भाषा में राजयोग मेडिटेशन कहते हैं ब्रम्हाकुमारी बहनों के द्वारा सिखाये जाने वाला राजयोग मेडिटेशन जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की सहज विधि सिखाता है जिस मेडिटेशन का नित्य अभ्यास करने से हमारा जीवन सुख शांति और समृद्धि से भरपूर हो जाएगा,
ब्रह्माकुमारी भाई बहनों के द्वारा शिव शंकर में महान अंतर एवं श्री लक्ष्मी और श्री नारायण का दिव्य एवं अलौकिक झांकी भी सजाया गया.
उक्त अवसर पर, ब्रह्माकुमारी संगीता बहन ,ब्रह्माकुमारी सरोज बहन, ब्रह्माकुमारी भारती बहन , ब्रह्माकुमारी सुनीता बहन, आदि ब्रह्माकुमार भाई बहने ब्रम्हाकुमारी मीना बहन, कन्हैया लाल, तपेश्वर चौधरी उपस्थित रहे.