![Shaurya News India](backend/newsphotos/1657603065-WhatsApp Image 2022-07-11 at 8.38.03 PM.jpeg)
चन्दौलीः गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर प्रतिवर्ष चलने वाली तीन दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा में श्रीमद् भागवत मर्मज्ञ कथा वाचक अखिलानंद जी महाराज ने कहा कि जीवन में अगर शांति होगी तो ही सच्चा सुख मिलेगा.अशान्तस्य कुत: सुखम्। जिसके जीवन में अशांति हैं उसे कैसे सुख मिलेगा? और शांति भगवान के पास जाये बिना नहीं मिलती. जब तक भगवान में भाव नहीं जाता, भक्ति नहीं होती,तब तक शांति नहीं मिलती. भगवान में भाव उत्पन्न होते ही शांति अपने आप आ जायेगी.
कृष्ण जन्म की कथा श्रवण कराते हुए महराज जी ने कहा कि भगवान कृष्ण पुष्टि पुरुषोत्तम हैं और भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम. श्री मद्भागवत महापुराण में कृष्ण जन्म से पहले भगवान श्री राम की कथा आती है और भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. जब हम मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन चरित्रो को अपने जीवन में उतारते हैं तभी तभी पुष्टि पुरुषोत्तम कृष्ण प्रगट होते हैं. महराज जी ने कहा कि कंस देहाभिमान का प्रतीक है.
कंस रुपी देहाभिमान कृष्ण का वैरी है जो हमें भगवान के पास जाने से रोकता है. हमारे देह नगर में भी कंस राजा बनकर बैठा है. जब तक इस देह रुपी मथुरा नगरी का राजा कंस है तब तक वह हमें सुख, शांति से वंचित रखेगा. और यह कंस तभी मरेगा जब कृष्ण प्रगट होंगे. जिस मथुरा का राजा कंस है वहां कृष्ण भी है. हमें बस प्रगट करना है. चाहे कोई कितना भी दुर्जन क्यों न हो उसके हृदय में भगवान तो है ही बस उन्हें प्रगट करना है. परमात्मा सबके हृदय में विराजमान हैं मगर वह वसुदेव और देवकी से ही प्रगट होंगे. शुद्ध हृदय ही वसुदेव है और देवमयी बुद्धि ही देवकी है.
अगर हम सत्संग करेंगे, प्रभु स्मरण करेंगे तो बुद्धि देवमयी होगी और भगवान का नाम लेंगे, सत्कर्म करेंगे, भगवान का काम करेंगे तो हृदय शुद्ध होगा और शुद्ध हृदय ही वसुदेव है. इतना हम करेंगे तो हम सबके हृदय में कृष्ण अवश्य ही प्रगट होंगे. कथा में प्रमुख रूप से अरुण जी महाराज,हरिहर पाण्डेय,संतोष पाठक,अमन पाण्डेय,अभिषेक,चंदन,वनमाली, आनंद, रामजी आदि सहित सैकड़ों श्रोताओं ने कथा श्रवण कर भाव विभोर रहे.