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Guru Gobind Singh Jayanti 2022 : देशभर में आज यानी 29 दिसंबर को सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाया जा रहा है. बता दें कि वे सिख धर्म के अंतिम गुरु थे. सिख धर्म में गुरु गोबिंद सिंह का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने सिख धर्म के लिए कई नियम बनाए, जिसका पालन आज भी किया जाता है। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु के रूप में स्थापित किया किया।
उन्होंने सामाजिक समानता का पुरजोर समर्थन किया। गुरु गोबिंद सिंह जी दमन और भेदभाव के खिलाफ खड़े हुए, इसलिए लोगों के लिए एक महान प्रेरणा के रूप में उभरे। वे सिख धर्म के 9वें गुरु तेगबहादुर के पुत्र थे। शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार के पटना में हुआ। आइए इस अवसर पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में खास बातें..
सिखों के पांच ककार धारण करने का आदेश
कहा जाता है कि सिखों के लिए 5 चीजें- बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही दिया था। इन चीजों को 'पांच ककार' कहा जाता है, जिन्हें धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है।
सिखों द्वारा पालन किए जाने वाले पांच ककार क्या हैं ?
केश - बिना कटे बाल
कंघा - लकड़ी की कंघी
कारा - कलाई पर पहना जाने वाला कड़ा
कृपान - एक तलवार
कचेरा- छोटी जांघिया
गुरु गोबिंद सिंह के जीवन से मिलती है ये प्रेरणा
गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन लोगों के लिए काफी प्रेरणादायक रहा। कहा जाता है कि अपने पिता गुरु तेग बहादुर की शहादत के बाद मात्र 9 साल की उम्र में गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु की जिम्मेदारी ली। उन्होंने छोटी सी उम्र में ही धनुष- बाण, तलवार, भाला आदि चलाने की कला भी सीखी और फिर अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में गुजार दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी बुरी क्यों न हो। हमेशा अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए काम करते रहना चाहिए।