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वाराणसीः  ज्ञानवापी मामले में एएसआई के सर्वे को लेकर वाराणसी कोर्ट का फैसला आ गया है। जिला कोर्ट ने एएसआई सर्वे को मंजूरी दे दी है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक जांच कराई जाएगी कोर्ट ने एएसआई को 4 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।

जानें- क्या है मामला
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर कहा कि मामला 19 मई, 2023 को शीर्ष अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जब उसने निर्देशों के कार्यान्वयन को 6 जुलाई, 2023 तक के लिए टाल दिया था शिवलिंग की कार्बन डेटिंग में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में निहित निर्देशों का कार्यान्वयन सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेगा हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश वाराणसी की देखरेख और निर्देशन में ज्ञानवापी परिसर के परिसर में शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी
मुख्य 'न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" को यह कहते हुए स्थगित कर दिया था, कि विवादित आदेश बारीकी से जांच के योग्य है। इसलिए इस आदेश का कार्यान्वयन अगली तारीख तक स्थगित रहेगा पीठ ने "शिवलिंग" की आयु निर्धारित करने के लिए एएसआई द्वारा वैज्ञानिक जांच के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की अपील पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया था।
सभी पक्षों ने पेश की दलील
ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुफ़ा म पीठ को बताया था कि कार्बन डेटिंग और सर्वेक्षण जल्द ही शुरू होगा। यूपी सरकार की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संरचना को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए, जिसे एक पक्ष शिवलिंग का दावा करता है और दूसरा इसे फव्वारा कहता है। मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई के विशेषज्ञ पहले ही बता चुके हैं कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।
दरअसल पिछले साल 16 मई को सर्वेक्षण के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में एक संरचना मिली थी, जिसे हिंदू पक्ष ने शिवलिंग और मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा होने का दावा किया हाईकोर्ट ने 12 मई को वाराणसी जिला न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 14 अक्टूबर, 2022 को शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग के आवेदन को खारिज कर दिया गया था। कोर्ट ने जिला न्यायाधीश को शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच करने के लिए हिंदू पक्ष के आवेदन पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने का निर्देश दिया था याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी और तीन अन्य ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

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