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पटना: बिहार की सियासत उबाल पर है. विजय सिन्हा ने बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा दे दिया है. जिसके बाद विजय सिन्हा ने डिप्टी स्पीकर की जगह नरेंद्र नारायण यादव को अध्यासी पदाधिकारी घोषित किया फिर सदन को स्थगित किया. इसको लेकर सदन में विवाद हो गया, जेडीयू ने इसका जमकर विरोध किया, क्योंकि नियमानुसार स्पीकर के नहीं रहने पर डिप्टी स्पीकर को सदन की कार्यवाही को संचालित करते हैं. इधर, जेडीयू के एमएलसी देवेश चंद्र ठाकुर ने बिहार विधान परिषद की अध्यक्षता के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार, राजद नेता राबड़ी देवी व अन्य मौजूद रहे.

बता दें कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा के इस्तीफे की मांग चल रही थी लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने से साफ मना कर दिया था. वहीं आज (बुधवार) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुरोध पर स्पीकर ने विशेष सत्र बुलाया था.


विजय सिन्हा ने अविश्वास प्रस्ताव का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया और कहा कि मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है. इससे पहले उन्होंने कहा कि मैं खुद ही पद छोड़ देता, लेकिन मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और पद से हटाने की कोशिश शुरू कर दी गई. मेरे ऊपर तानाशाही का आरोप लगाया गया.

 

9 अगस्त को ही विधानसभा सचिव को मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना दी गई थी. उन्होंने कहा कि इसलिए मैंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया, ताकि सदन में इसका जवाब दे सकूं. उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गलत है. इसलिए उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था.

 


दरअसल स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के दो सप्ताह बाद सदन में इसे साबित करने का मौका दिया जाता है और ऐसी सूरत में विधानसभा अध्यक्ष आसन पर मौजूद नहीं होते हैं. सदन की कार्रवाई इन परिस्थितियों में डिप्टी स्पीकर द्वारा चलाई जाती है. लेकिन विजय सिन्हा दावा कर रहे थे कि उन्होंने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है इसलिए वो विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले काम कर सकते हैं.


रिपोर्ट- शिवम दुबे

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