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भदोहीः खबर जनपद भदोही से है जहां भ्रष्टाचार का एक अनोखा मामला सामने आया है. बताते चलें कि ब्लॉक अभोली अंतर्गत ग्राम सभा अमिलहरा स्थित ग्राम समाज जमीन पर व्यायाम करने तथा बच्चों के खेलने कूदने के लिए एक मैदान का प्रस्ताव ग्राम प्रधान की तरफ से दिया गया था जिस पर 1 लाख 92 हज़ार स्वीकृत हुआ था. आईजीआरएस पर मांगी गई सूचना से यह पता चला कि मैदान को चारों तरफ सीमेंट और सरिया के पिलर से घेरा गया था और पिलर के बीच कंटीला तार लगाया गया था तथा बैठने के लिए 20 बेंच भी लिखा है.
जिस के स्थान पर अभी 2 दिन पहले रात में मात्र दो बेंच रखा गया. इसके साथ-साथ यह भी सूचना प्राप्त हुई कि मैदान को चारों तरफ से घेरने के बाद सामने की तरफ एक गेट लगाया गया था. ग्रामीण युवकों का कहना है कि आइजीआरएस में जो सूचना दी गई थी वह पूरी तरह से झूठी है. केवल पिलर बनाया गया था और उसमें भी भ्रष्टाचार हुआ.
बारिश होते ही कुछ महीनों में धीरे-धीरे सभी पिलर गिर गए. वर्तमान में ग्राम सभा अमिलहरा के ग्राम सचिव प्रेम नाथ है. निवर्तमान ग्राम सचिव संजय मौर्य के कार्यकाल में यह कार्य हुआ था जिसमें बड़ा भ्रष्टाचार देखने को मिला. वर्तमान में उनकी तैनाती ज्ञानपुर ब्लॉक में है लेकिन पूर्व में किए गए भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए संजय मौर्य अपने पुराने कार्यक्षेत्र में आकर मैदान में कार्य करा रहे हैं, वह भी मानक के अनुरूप नहीं है. फिर वही पिलर खड़े कर दिए गए और उसमें सरिया नहीं डाली गई.
मामले में वीडियो अभोली राकेश मिश्रा तथा डीसी मनरेगा राजाराम को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है. गांव के ही युवक श्रवण कुमार बिंद ने भ्रष्टाचार के मामले को उजागर किया तथा संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया. ग्रामीण युवकों का कहना है कि इस समय जनपद में गौरांग राठी के रूप में उम्मीद की बड़ी किरण के रूप में नवागत जिलाधिकारी मौजूद हैं और हमें अपने से ज्यादा उन पर विश्वास है.
युवकों का कहना था कि किसी भी तरह से यह मामला डीएम साहब के संज्ञान में आने पर इसमें बड़ी कार्यवाही तय है. जिस तरह से दूसरी जगह कार्यरत होने के बावजूद अपने पुराने कार्यक्षेत्र में अपने कृत्यों को छिपाने के लिए मानक को ताक पर रखकर ग्राम सचिव संजय मौर्या द्वारा कार्य कराया जा रहा है उससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि संजय मौर्य पूर्व में जहां रहे और वर्तमान में जहां हैं यदि जांच हुई थी गोलमाल का बड़ा मामला सामने आ सकता है.
एक बड़ा सवाल यहां यह उठता है कि आखिर किसकी इजाजत से और किसको अवगत करा कर ग्राम विकास अधिकारी संजय मौर्या यह कार्य करा रहे हैं. वहीं इस मामले से इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि मुकम्मल जांच हुई तो कई कर्मचारी कार्यवाही की जद में आ सकते हैं. इस मामले में नियमानुसार पूर्व खंड विकास अधिकारी की भी जांच होनी चाहिए जिनके कार्यकाल में इस तरह का भ्रष्टाचार हुआ. ऐसा हो ही नहीं सकता कि इस तरह का भ्रष्टाचार हो और संबंधित अधिकारियों को कानों कान खबर ना हो.
वहीं, जब आकाश भूमि की टीम द्वारा ग्राम सचिव संजय मौर्या से इस संबंध में बात की गई तो वह फोन पर मामले में हिला हवाली करते नजर आए। इसके बाद डीसी मनरेगा राजाराम ने बताया कि संबंधित मामले में पत्र के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई है जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. आशा यही है कि समय रहते डीसी मनरेगा अपनी जांच पूरी कर आवश्यक कार्यवाही करेंगे. हालांकि ज्यादातर मामलों में जांच प्रक्रिया इतनी धीमी होती है कि भ्रष्टाचार करने वालों में किसी भी तरह का संकोच नहीं होता और भी धड़ल्ले से भ्रष्टाचार के मामलों को अंजाम देते रहते हैं.
रिपोर्ट- विजय कुमार तिवारी