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मध्यप्रदेशः सिंगरौली जिले में प्रशासनिक विभाग से लेकर हर विभाग में एक परंपरा बनी हुई दिखाई दे रही अक्सर देखा जाता है जब भी कोई प्रशासनिक विभागीय अधिकारी पुलिसकर्मी से लेकर कलेक्टर जब भी किसी जिले में अपना पदभार लेते हैं महीने साल भर 6 महीने में ट्रांसफर हो जाते हैं.
ऐसा क्या हैं की सिंगरौली जिले से अधिकारी जाने का नाम नहीं लेते
जिले के लिए लेकिन सिंगरौली जिला एक ऐसा जिला है जहां अधिकारी के ट्रांसफर सिंगरौली जिले में तो होते हैं लेकिन जिले में आने के बाद कोई भी अधिकारी कर्मचारी अन्य जिले में जाने का नाम नहीं लेता आखिर क्यों क्या है. वजह जिले से इतना लगाव क्यों क्या कभी किसी ने गौर किया नेता मंत्री विधायक सभी लोग जिले में हर महीने चक्कर लगाते हैं. लेकिन ऐसी विधि जो बनी हुई दिखाई दे रही इस पर क्यों नहीं चर्चा आखिर कब उठेगा इस पर सवाल कहीं प्रशासनिक विभागीय अधिकारियों के साथ साथ नेता मंत्री विधायक एक ही पहलू के सिक्के तो नहीं
चुनाव नजदीक आने के बावजूद भी निर्वाचन आयोग चुस्त-दुरुस्त
अक्सर देखा जाता है. जब भी कोई चुनाव नजदीक आते हैं तब जिले में जमे 10 वर्ष 5 वर्षों से अधिकारी कर्मचारियों का अन्य जिलों में तबादला हो जाता है. या पुलिस लाइन में हाजिर कर दिया जाता है.
सिंगरौली पुलिस पर लगा भ्रष्टाचार पर आरोप
सिंगरौली जिले में ऐसे कई कर्मचारी अधिकारी हैं जो 5 वर्षों से नहीं बल्कि 20 वर्ष 25 वर्षों से जमे हैं. आखिर इस पर निर्वाचन आयोग की कब पड़ेगी नजर क्या लिस्ट होगा जारी या गुलाबी नोटों के सहारे चलेगा चुनाव का निर्णय
इनका कहना है की
सिंगरौली पुलिस अराजक है. घूस देकर इस जिले में आती है और भ्रष्टाचार फैलाती है.
भारी रकम दे ट्रांसफर रुकवा लेते है अधिकारी
एक बार सिंगरौली जिले आने के बाद दोबारा अन्य जिले में जाने का नाम नहीं लेते भाग्य से अगर इनका ट्रांसफर या तबादले लिस्ट में नाम आ जाता है तो भोपाल का चक्कर लगाकर भारी रकम दे ट्रांसफर लिस्ट से नाम कटवा देते हैं. कोई भी आवाज उठाई तो मुकदमा पंजीबद्ध कर तुरंत जेल भिजवाने का कार्य करती है. सिंगरौली पुलिस महान है यहां की प्रशासन जो आम जनता को मोहरा बना किसी भी हद तक चली जाती है. कोई रोकने वाला नहीं नेता मंत्री विधायक ऊपर से लेकर नीचे तक मिली भगत
रिपोर्ट- आर के शर्मा