Shaurya News India
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वाराणसीः रविवार को प्रातः 11:00 काल भैरव मंदिर के प्रधान गद्दीदार एवं 300 वर्ष से नाथ योग परंपरा का निर्वाह करने वाले योगी प्रकाश नाथ योगेश्वर जी के आवास पर स्थित योग निरोग केंद्र के कार्यालय में अष्टांग योग सम्मान का आयोजन किया गया इस सम्मान पत्र को समाज में अपनी अपनी विशिष्ट भूमिका से नई दिशा एवं दशा देने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले समाज के विभिन्न क्षेत्र के कर्मठ महानुभावों व योगियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर फाउंटेन पेन के जनक के सरपौत्र शुभजीत शाहा को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए एवं देश की सबसे बड़ी पैरामिलिट्री फोर्स सी.आर.पी.एफ के श्री प्रवीण कुमार सिंह जी को एवं योग के क्षेत्र में विगत 15 वर्षों से निःस्वार्थ व निःशुल्क योग प्रशिक्षण देने में एवं योग शिविर का संचालन करने में महत्वपूर्ण रूप से सहयोग प्रदान करने वाले तीन योग साधकों को भी सम्मानित किया गया इसमें साधक श्री किशन विश्वकर्मा (योग प्रशिक्षक, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, राज्य आयुष सोसाइटी उत्तर प्रदेश सरकार) साधक चंदन विश्वकर्मा ,साधक विकास बिंद, श्री भरत चंद्र गुप्ता भैरव युवा संघ के अध्यक्ष को अष्टांग योग सम्मान से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता काल भैरव मंदिर परिवार के वयोवृद्ध नाथ योगी काल भैरव गंडा  माला के जनक सिद्ध योगेश्वर की बाबा रूपनाथ जी के पौत्र श्री योगी  प्रेमनाथ जी ने किया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अविनाश योगेश्वर थे इस कार्यक्रम का संचालन एवं आयोजन भूतपूर्व योग प्रशिक्षक वाराणसी पुलिस लाइन एवं  वर्तमान योग प्रशिक्षक सीआरपीएफ 95 बटालियन एवं राष्ट्रीय महासचिव योग निरोग केंद्र के योगी योगेश्वर जी ने किया। योगी योगेश्वर जी ने संस्था की तरफ से सभी सम्मानित जनों को प्रमाण पत्र एवं अंग वस्त्र धारण करवा कर उनका सम्मान किया.

इस अवसर पर श्री रोहित योगेश्वर, श्री मोहित योगेश्वर, श्री आशुतोष मिश्रा, श्री गोपाल नाथ गोस्वामी, श्री रजत योगेश्वर, वैभव योगेश्वर, राजीव योगेश्वर, श्री बनारसी गुप्ता जी व योग प्रशिक्षक अजय सेठ सहित कई योग साधक उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम के अंत में व्यथा गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। व्यथा गोष्ठी का मुख्य विषय धरती की व्यथा रही, इसमें प्रमुख रूप से प्लाटिंग पर रोक लगाना अति आवश्यक है पर सभी वक्ताओं ने इस पर अपने विचार रखे अनावश्यक जमीन की प्लाटिंग जहां भूमि को बंजर बना रही है वहीं पर्यावरण का विनाश कर रही है भोजन की कमी कर रही है और जलवायु पर भी बहुत बुरा असर डाल रहा है इसलिए सरकार से आग्रह किया जाता है कि शासन और प्रशासन मिलकर एक संयुक्त कार्यक्रम के अंतर्गत संसद में एक कानून पास करें कि भूमि खरीदने की कितनी सीमा व्यक्ति के पास होनी चाहिए और हर नए भूमि प्लाट मैं वह 5 से 7 फीट पौधों व वृक्षों के लिए आरक्षित करें और उन्हें कभी भी अतिक्रमण ना करें ऐसा करने से भूमि का संरक्षण के साथ साथ पर्यावरण का भी संरक्षण होगा।

रिपोर्ट- मनोज यादव

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