वाराणसीः रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मनोहारी मंचन शुरू हो गया है. गुरुवार को यानी प्रथम दिन रामलीला को देखने के लिए हजारों कि भीड़ रामनगर पोखरे के पास इकट्ठा हुई थी. आरती के बाद ही लीला प्रेमियों की भीड़ कम हुई. अनूठे ठाट वाली इस ऐतिहासिक रामलीला का दीदार करने काशी नरेश अनंत नारायण सिंह भी यहाँ पहुँचे थे. पूरे शाही ठाट-बाट में हाथी पर सवार होकर काशी नरेश इस लीला का मंचन देखा. अनंत चतुर्दशी से इस लीला की शुरुआत होती है, जो पूरे एक महीने तक चलती है. ऐसे में पूरे एक महीने काशी नरेश इस लीला के साक्षी बनते हैं.
जानकारों के अनुसार, इस लीला का इतिहास करीब 239 साल पुराना है. यूनिस्को ने भी इसे विश्व सांस्कृतिक विरासत माना है. 1783 में काशी नरेश उदित नारायण सिंह ने इसकी शुरुआत की थी. बस तब से इस लीला का मंचन निरंतर चला आ रहा है. आज भी इस लीला में जब काशी नरेश अनंत नारायण सिंह हाथी पर सवार होकर इसे निहारने आते हैं तो हर-हर महादेव के जयघोष से उनका स्वागत किया जाता है.
इस लीला का मंचन गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस की चौपाई पर होता है. आधुनिकता के इस दौर में भी लीला का मंचन वैसे ही होता है, जैसा 239 साल पहले हुआ करता था. न लाइट का तामझाम और न ही स्टेज का झंझट. रामनगर के तकरीबन पांच किलोमीटर के क्षेत्र में ये लीला घूम-घूम कर होती है.
गुरुवार को लीला का मंचन देखने आए भक्त पवन कुमार ने बताया कि वे लगातार 35 सालों से इस लीला का मंचन देखने के लिए यहां आते हैं. इस लीला में जैसी शाही ठाठ-बाट दिखती है, वैसी कहीं और देखने को नहीं मिलती है.
रिपोर्ट- रिम्मी कौर