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लगातार हार के बाद शानदार जीत का ‘टानिक’ पाई समाजवादी पार्टी की निगाह अब तीन साल बाद होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव पर हैं। जिस यूपी के बूते सपा ने संसद में अब तक सर्वोत्तम परफार्मेंस दी है,उस यूपी को छोड़ने का निर्णय करना अखिलेश यादव के लिए आसान नहीं है।


अखिलेश कन्नौज से सांसद रह कर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे खुद को पेश करेंगे या करहल विधानसभा से विधायक रहते हुए यूपी विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने चुनौती खड़ी करेंगे। यह सवाल सपा के भीतर व बाहर खासा अहम हो गया है।

अगर अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा से त्यागपत्र दिया तो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्हें नया नेता चुनना होगा।

इसमें उनके सामने शिवपाल यादव (यादव), इकबाल महमूद (मुस्लिम), इंद्रजीत सरोज (दलित) जैसे वरिष्ठ व अनुभवी नेताओं के नाम हैं। पर इसमें कौन कितना कारगर होगा? यह अभी तय होना है।

सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि वैसे तो राष्ट्रीय अध्यक्ष इस पर खुद निर्णय करेंगे, पर सपा को अब यूपी पर ही फोकस करना है और इसके लिए यूपी की सियासत में उनका रहना जरूरी है।

असल में इस बार मुलायम परिवार के पांच सदस्य डिंपल यादव, अक्षय यादव, आदित्य यादव, धर्मेंद्र यादव व अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव जीते हैं।

आदित्य को छोड़कर बाकी सभी पहले भी संसद में रह चुके हैं और अनुभवी हैं। ऐसे में अखिलेश यादव यूपी में अपना ध्यान अगले विधानसभा चुनाव में फोकस करेंगे।

 

रिपोर्ट जगदीश शुक्ला

 

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