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अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। यह बेहद चौंकाने वाला नाम है। माना जा रहा है कि अखिलेश ने पीडीए के बाद ब्राह्मण कार्ड चला है।

कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक बनाया है।
इससे पहले शिवपाल, इंद्रजीत सरोज और तूफानी सरोज का नाम नेता प्रतिपक्ष के तौर पर चल रहा था। लेकिन करीब 3 घंटे के मंथन के बाद अखिलेश ने माता प्रसाद के नाम का ऐलान किया।


माता प्रसाद 7 बार से विधायक हैं। वह मुलायम और अखिलेश सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। उनको शिवपाल यादव का करीबी माना जाता है।

 

कई राउंड की मीटिंग के बाद लगी मुहर

 

अखिलेश यादव ने रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई थी। इसमें नेता प्रतिपक्ष का नाम तय होना था। अखिलेश सुबह 11 बजे बैठक में पहुंचे। वहां विधायकों ने सपा प्रमुख को नेता प्रतिपक्ष पर अंतिम फैसला लेने को कहा। क्योंकि, ज्यादातर विधायक शिवपाल के नाम पर सहमत थे, लेकिन परिवार के आरोपों के चलते अखिलेश शिवपाल को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहते थे।


इसके बाद दो नाम सामने आए। इंद्रजीत सरोज और तूफानी सरोज। इंद्रजीत सरोज के नाम पर इसलिए सहमति नहीं बन पाई कि वह 2018 में ही बसपा छोड़कर सपा में आए थे। सपा के सीनियर लीडर उनके नाम पर सहमत नहीं हुए। उनका कहना था

कि इंद्रजीत बसपा से आए हैं, इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज जाएगा।


वहीं, तूफानी सरोज को लेकर यह बात सामने आई कि वह विधानसभा में सीएम योगी एंड टीम का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। वजह है कि तूफानी सरोज शांत स्वभाव के नेता माने जाते हैं। लाइमलाइट में नहीं रहते हैं।

 

आखिर में माता प्रसाद के नाम पर बनी सहमति...

 

अखिलेश ने पहले सपा के सीनियर नेताओं के साथ मीटिंग की, लेकिन नाम तय नहीं हो पाया। शिवपाल यादव भी सपा मुख्यालय से चले गए। इसके बाद अखिलेश ने चुनिंदा नेताओं के साथ बैठक की। उसमें माता प्रसाद का नाम पर मुहर लगी।


पार्टी नेताओं ने बताया कि माता प्रसाद सीनियर लीडर हैं। वह लंबे वक्त से सपा के साथ हैं। ऐसे में पार्टी कैडर में उनका विरोध नहीं होगा। खासकर शिवपाल यादव। दूसरी अहम बात यह है

कि मात प्रसाद पांडेय दो बार विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। उनको विधानसभा चलाने का लंबा अनुभव है। माता प्रसाद की उम्र 81 साल है। ऐसे में वह टीम योगी का मुकाबला कैसे कर पाएंगे। यह देखना होगा।

 

इटावा सीट से 7 बार विधायक रहे चुके हैं पांडेय

 

माता प्रसाद पांडेय सिद्धार्थनगर की इटवा विधानसभा सीट से 7 बार विधायक रह चुके हैं। पांडेय ने अपना पहला चुनाव 1980 में जनता पार्टी से लड़ा था और जीत हासिल की। 1985 में लोकदल से विधायक बने। 1989 के चुनाव में जनता दल से जीत हासिल की।


1991 और 1996 में विधानसभा चुनाव में हार गए। 2002, 2007 और 2012 में सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2017 में भाजपा प्रत्याशी डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी से चुनाव हार गए थे। 2022 में योगी सरकार में मंत्री रहे बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी को हराकर 7वीं बार विधायक बने

 

 

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