वाराणसीः प्रेम के बंसती महीने में, वाणी, विद्या और वारि की देवी माता सरस्वती का आह्वान करते हुए बड़े उत्साह के साथ द रीवर विद्यालय, लालघाट में संस्कृति और संस्कार की भाषा संस्कृत के संभाषण का शिविर का आरंभ संस्कृत शिक्षिका नन्दिनी जी द्वारा किया गया।
सभी बच्चे ने बड़े उत्साह के साथ इस प्राचीन चिरनवीन भारतीय भाषा को सीखने, समझने व बोलने का अभ्यास किया। खेल, अभिनय, नृत्य, संगीत के द्वारा भाषा सीखने का यह उनका पहला अनुभव था, जिसमें आनन्दित हो बढ़-चढ़कर भाग लिया और थोड़े ही समय में, प्रतिदिन एक घंटे तक, संस्कृत में दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले शब्दों और वाक्यों का अभ्यास कर संस्कृत भाषा में स्व-परिचय देने व संवाद करने में सक्षम हुए।
संस्कृत शिक्षिका नन्दिनी जी के अनुसार- सरकार द्वारा चलाई जा रही गृहे-गृहे संस्कृत अभियान योजना सही मायने में तभी फलीभूत होगी, जब समाज के हर वर्ग से सकारात्मक सहयोग मिलेगा व विरासत में मिली अपनी अमूल्य, अलौकिक सनातन संस्कृति, सभ्यता के प्रति लोगो का विश्वास बढ़ेगा,सम्मान बढ़ेगा। अपनी भाषा,अपना भारतीय भोजन, अपनी वेषभूषा को जब तक लोग सम्मान के साथ , खुश हो अंगीकार नही करेंगे। भारतीय जनमानस में संस्कृत के प्रति तब तक उदासीनता बनी रहेगी। इसलिए समय रहते ही हमे सतर्क हो, सजग हो , चहुंओर इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के साथ ही, लोगो के अन्दर रूचि भी जगानी होगी।
रिपोर्ट- जगदीश शुक्ला
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