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वाराणसी। धोखाधड़ी व कूटरचना कर मकान कब्जा करने के मामले में आरोपित को कोर्ट से राहत मिल गई। अपर जिला जज (चतुर्दश) सुधाकर राय की अदालत ने कोदई चौकी, दशाश्वमेध निवासी आरोपित सादिक उर्फ सोनू खान को पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने की दशा में एक-एक लाख रुपए की दो जमानतें एवं बंधपत्र पत्र देने पर अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, गिरजा शंकर यादव व संदीप यादव ने पक्ष रखा।

अभियोजन पक्ष के अनुसार गयासुद्दीन ने अदालत के आदेश पर दशाश्वमेध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि वक्फ उपरोक्त की वक्फी जायदाद मकान नम्बर डी 39/17 व डी. 39/19 स्थित मोहल्ला कोदईचौकी, दशाश्वमेध के जुज भाग पर विपक्षीगण अब्दुल सलाम खान पुत्र स्व. युसुफ खान व उनके पुत्रगण सरफराज खान उर्फ भोलू व आसिफ खान व उसका दामाद सादिक उर्फ सोनू बतौर अवैध किरायेदार आबाद है। आरोप है विपक्षीगण की नियत शुरू से ही उक्त संपत्ति पर खराब है। जिसके चलते अब्दुल सलाम ने तथाकथित बैनामा 23 मार्च 1957 को जाहिर कर एक आवेदन वर्ष 2020 समक्ष कर अधीक्षक जोनल कार्यालय दशाश्वमेध पर दिया और निवेदन किया कि उसका नाम कागजात नगर निगम में दर्ज कर दिया जावे।

प्रकरण की जांच जब शुरू हुई तो सचिव द्वारा आपत्ति दाखिल की गई और नामान्तरण प्रकरण स्थगित हो गया। जब बैनामा 23 मार्च 1957 के पक्की नकल के बाबत जानकारी जरिये जन सूचना मांगी गई तो पता चला कि प्रतिलिपि सं०, 1427 वर्ष 1980 के पृष्ठ भाग पर दफ्तर सब रजिस्ट्रार द्वितीय वाराणसी की मुहर लगायी गई हैं, जबकि कार्यालय 1980 में सब रजिस्ट्रार द्वितीय प्रवर्तनीय नही था। इस प्रकार विपक्षी फर्जी कागजात को यह जानते हुए कि बैनामा 23 मार्च 1957 एक कूटरचित दस्तावेज है, उसका उपयोग कर नामान्तरण कराना चाहा। विपक्षीगण एक जालसाज किस्म की व्यक्ति है। जिसके बाद उपरोक्त घटना के बाबत वादी ने प्रार्थना पत्र दिनांक 18 जुलाई 2022 को पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उसने अदालत की शरण ली।

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