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वाराणसी। जिला जज संजीव पांडे की अदालत ने धोखाधड़ी के कैंट थाने के एक मामले में आरोपी को राहत दे दी। शिव नगर कालोनी चाँदपुर, थाना मडुवाडीह निवासिनी उर्मिला संतोष कुमार सिंह को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने की दशा में 50-50 हज़ार रुपये की दो जमानते एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता आकांक्षा सिंह, अमित राय व आयुष चंद्र राजपूत ने पक्ष रखा। 

 

⚡️अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी दिनेश कुमार ने कोर्ट में दं०प्र०सं० की धारा 156 (3) के तहत प्रार्थना-पत्र दिया, जिसके बाद कैंट थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। आरोप था की विपक्षिणी उर्मिला संतोष कुमार सिंह के शिव नगर कालोनी चाँदपुर, थाना मडुवाडीह वाराणसी स्थित शिवशक्ति भवन मे संचालित प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरी विश्व विद्यालवय मे राजयोग मेडिटेशन क्लास अक्टूबर 2013 से चलता था, जिसमें वादी भी वहाँ का समर्पित भाई था। वादी की विपक्षिणी उर्मिला संतोष कुमार सिंह से काफी अच्छी जान-पहचान थी

, वर्ष 2020 में विपक्षिणी ने अपनी एक इनोवा किस्टा कार बेचने की इच्छा वादी सहित अन्य लोगों से जाहिर की, जिस पर वादी ने भी उक्त कार विपक्षिणी से क्रय करने की इच्छा जताई तथा कीमत मु 10,75,000 /- रुपये तय हुआ। वादी द्वारा उक्त विक्रय की धनराशि मु 10,75,000/- रूपये नकद अदा कर दिया गया जिसके बाबत दोनों पक्षों ने दीवानी कचहरी वाराणसी आकर 100/- रूपये स्टाम्प पेपर पर लिखित इकरारनामा बाबत वाहन विक्रय तहरीर किया। बाद में नोटरी कराया तथा विपक्षिणी ने गाड़ी वादी के पक्ष में ट्रांसफर कराने हेतु बेचीनामा फार्म 29 व फार्म 30 पर हस्ताक्षर करके गाड़ी का मूल पंजीकरण प्रमाण पत्र के साथ वादी को दिया जिसका इंश्योरेन्स है जिसमें वादी बतौर नामिनी है।

उक्त वाहन बैंक लोन पर लिया गया था तथा लोन की किस्तें बाकी थी. जिसके कारण तत्काल ही उक्त वाहन वादी के नाम पर ट्रांसफर न हो सका तथा जनवरी वर्ष 2021 से ही वादी उक्त वाहन का स्वयं उपयोग करते हुए गाड़ी का किस्त जमा किया जाने लगा। जब वादी द्वारा उक्त वाहन की ज्यादातर किस्तें जमा कर दी गयी. तब विक्षिणी की नियत धीरे-धीरे बंद होती गयी तथा उक्त वाहन को पुनः अपने कब्जे में लेने हेतु विपक्षिणी द्वारा साजिश रचा जाने लगा। साजिश के तहत विपक्षिणी द्वारा वादी के विरूद्ध झूठे व मनगढन्त व आधारहीन तथ्यों के आधार पर थाना मण्ड्वाडीह पर उक्त वाहन की चोरी का मुकदमा पंजीकृत करा दिया गया तथा वाहन को पुनः अपने कब्जे में ले लिया गया।

विधितः विपक्षिणी द्वारा उक्त वाहन इनोवा क्रिस्टा को वादी के हक में मु 10,75,000/- रूपये वादी से लेकर विक्रय किया गया था,

जिसके पश्चात ही वादी द्वारा उक्त वाहन की बकाया किश्तों को नकद, मोबाईल ट्रांजैक्शन जरिये चेक के माध्यम से जमा किया जा रहा था। विपक्षिणी द्वारा वादी के साथ धोखाधड़ी व न्यासभंग करते हुए मु 15,80,864 /- रूपया हड़प लिया गया तथा उक्त वाहन को भी पुनः अपने कब्जे में ले लिया गया।

 

 

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