
सांसो के टूटने से पहले,
दुनिया को छोड़ने से पहले
एक बार सभी अपनो को,
खुश देखना चाहती हूँ।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
गुजरात से बंगाल की खाड़ी तक
एकजुटता की संतुष्ट समृद्धि
को महसूस करना चाहती हूँ।
इस देश का हरेक कोना
कण-कण जो उगले सोना
इस देश की ऐसी मिट्टी को
अनुभूत करना चाहती हूँ।
जहाँ धर्म पर कभी विवाद न हो
कर्म पर ही सदा,सबका विश्वास हो
भौतिकता की जहां पर होड़ न हो।
ऐसे आध्यात्मिक परिवेश का,
दिग्दर्शन करना चाहती हू।