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चंदौली क्षेत्र के बलुआ, रामगढ़, मथेला, टांडाकला, काँवर, रईया निधौरा, मारूफपुर महुअर समेत आदि दर्जनों घाटों पर मंगलवार को नहाय-खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो गयी। इस दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं ।
इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं. भोजन में चावल-दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करती हैं. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। यह पर्व संतान की प्राप्ति और उनकी समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस पर्व में भगवान भास्कर और छठी मइया की पूजा का विधान है।अब सवाल है कि आखिर नहाय-खाय का व्रत कैसे होता है शुरू।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, लोक आस्था का महापर्व छठ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है । इस दौरान सूर्य देव की पूजा-उपासना होती है। छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है।
इसके अगले दिन खरना करते हैं। वहीं कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य देव और सप्तमी तिथि को उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का समापन होता है। व्रती खरना पूजा के बाद लगातर 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं।