वाराणसीः भट्टब्राह्मण महासभा काशी वाराणसी(पंजीकृत) संस्था द्वारा महान खगोल विद तथा गणितज्ञ पं आर्यभट्ट की जयन्ती मनाई गई।
कार्यक्रम की शुरुआत पं देवनारायण भट्ट द्वारा सरस्वती वंदना, तथा मंगलाचरण से हुई। तत्पश्चात पं आर्यभट्ट की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा सभी उपस्थित सदस्यों द्वारा पुष्प वर्षा की गई।
इस दौरान सभा को सम्बोधित करते हुए भट्टब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष पं बसन्त राय भट्ट ने पं आर्यभट्ट की जीवनी पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए उनके उपलब्धियों को बताया। उन्होंने कहा कि यह हैरान और आश्चर्यचकित करने वाली बात है कि आजकल के उन्नत साधनों के बिना ही उन्होंने लगभग डेढ़ हजार साल पहले ही ज्योतिषशास्त्र की खोज की थी। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, कोपर्निकस (1473 से 1543 इ.) द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत की खोज आर्यभट हजार वर्ष पहले ही कर चुके थे। “गोलपाद” में आर्यभट्ट ने सर्वप्रथम यह सिद्ध किया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है।
सभा के मुख्य अतिथि डा हरिद्धार शर्मा ने कहा कि पं आर्यभट्ट की जीवनी से सीख लेनी चाहिए और उनको याद करके उनका सम्मान करना हमारा धर्म है। डा. शुक्ला जी ने बताया कि पं आर्यभट्ट जी के द्वारा आज के विज्ञान का आधार हजारों साल पूर्व ही दिया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता पं नन्दलाल राय और सभा का संचालन डा शेषनाथ राय तथा धन्यवाद ज्ञापन पं महेन्द्र नाथ शर्मा जी ने किया।
आयोजन में प्रमुख रूप से सर्वश्री श्यामविहारी राय,जगदीश शर्मा, पं देवनारायण भट्ट, राजेश कुमार शर्मा, डा. धन्वन्तरि शुक्ला न्युरो चिकित्सक, शशिभूषण राय, राजीव शर्मा, सुबास शर्मा, शिवम कुमार राय, कृष्णा राय, विकास राय, संदेश राय, सहित भारी संख्या में सदस्य उपस्थित थे।
रिपोर्ट- धनेश्वर साहनी