बसपा सुप्रीमो मायावती ने 13 साल बाद एक बार फिर से भाईचार कमेटियां गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में एससी, एसटी, ओबीसी के साथ मुस्लिमों को जोड़ा जा रहा है। आगे चलकर ब्राह्मण के साथ अन्य जातियों को जोड़ा जाएगा। जिला स्तर पर गठित होने वाली भाईचारा कमेटियां अब विधानसभावार भाईचारा कमेटियां बनाई जाएंगी।
बसपा सुप्रीमो इन दिनों लखनऊ में रहकर विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं। बसपा में एक समय भाईचारा कमेटियां काफी प्रभावी हुआ करती थीं। विधानसभा चुनाव 2007 में बसपा को इसका लाभ भी मिला था, लेकिन वर्ष 2012 में खराब परिणाम आने के बाद भाईचारा कमेटियों को भंग कर दिया गया। इसके बाद से इसका गठन नहीं किया गया, लेकिन अब इसके गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए जिलाध्यक्षों से जिलेवार नाम मांगे गए थे। इसके आधार पर कमेटी बनाने का काम शुरू किया गया है। प्रदेशभर में मंडलवार इसकी घोषणा करने के निर्देश कोआर्डिनेटरों को दिए गए हैं। लखनऊ मंडल भाईचारा कमेटी में सभी जिलों के जिलाध्यक्ष बना दिए गए हैं। लखनऊ के शैलेंद्र गौतम, रायबरेली राजेश कुमार फौजी, उन्नाव दिनेश गौतम, हरदोई सुरेश चौधरी, लखीमपुर खीरी विपिन कुमार गौतम व सीतापुर के जिलाध्यक्ष विकास राजवंशी बनाए गए हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी
भाईचारा संगठन में राकेश कुमार गौतम, विनय कश्यप को रखा गया है। जातीय समीकरण के आधार पर भाईचारा कमेटियों में लोगों को रखा गया है। खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ मुस्लिमों को जोड़ा जा रहा है। भाईचारा कमेटियों का काम होगा कि वो निचले स्तर पर जाकर कमेटियां बनाएं।
बसपा की अहम बैठक 25 को
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 25 मार्च को प्रदेश पदाधिकारियों की अहम बैठक बुलाई है। इसमें मंडलीय कोआर्डिनेटर, जिलाध्यक्षों के भाईचारा कमेटी में शामिल होगों को बुलाया गया है। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रदेश पदाधिकारियों को भी बैठक में बुलाया गया है। वह बैठक में संगठन विस्तार को विशेष दिशा-निर्देश देने के साथ भाईचारा कमेटी में शामिल होने वालों की भूमिका तय करेंगी

