
चन्दौली जिला अन्तर्गत पण्डित दीनदयाल उपाध्याय नगर, मुगलसराय के नगर पालिका एसी.हाल में लोक साहित्य एवं कला को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अस्मिता नाट्य संस्थान एवं अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् द्वारा नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता एवं कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक के प्रमुख संयोजन में काशी के प्रख्यात कवि डॉ.गिरीश पाण्डेय काशिकेय के अध्यक्षता में चन्दौली कजरी काव्य/गायन संगम एवं स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। हिन्दी साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान को देखते चन्दौली की कवयित्री मुनक्का मौर्या और काशी की कवयित्री विदुषी साहाना को काशी हिन्दी विद्यापीठ द्वारा विद्या - वाचस्पति विशेष मानद सम्मान भी भेंट किया गया।
काव्य/गायन लखनऊ की कवयित्री डॉ. पूनम श्रीवास्तव, लखनऊ की कवयित्री एवं लोक गायिका डॉ.अनीता मिश्रा, चन्दौली की कवयित्री मुनक्का मौर्या, वाराणसी की कवयित्री विदुषी साहाना, युवा कवि हर्ष अग्रवाल, सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध, इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक एवं डॉ.गिरीश पाण्डेय काशिकेय ने प्रस्तुत किया।
नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता ने - सुन ले ओ पाकिस्तान जब तक तुम्हारे नापाक इरादे भारत के विरुद्ध रहेंगे।हम सब तुम्हारे नापाक इरादों को ध्वस्त करते रहेंगे।
बाल फिल्म कलाकार रोमेस्ट शर्मा और रूद्र ने भी अपने संवाद से सबका मन मोह लिया।
विशिष्ट अतिथि भाजपा.के वरिष्ठ नेता सूर्यमणि तिवारी एवं भाजपा. नेत्री विनिता अग्रहरि ने बाबा श्री काशी विश्वनाथ जी का स्मृति चिन्ह भेंट कर उपस्थित लोगों को भेंट किया।
स्वागत संरक्षण - अस्मिता नाट्य संस्थान के अध्यक्ष डा. राजकुमार गुप्ता, सर्वदलीय गौ रक्षा मंच के प्रदेश संयोजक श्री प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश, डा.ए.के.सिंह,विश्वकर्मा समाज चन्दौली के जिला अध्यक्ष - घनश्याम विश्वकर्मा, डा. उषा पाण्डेय,डा. आनन्द श्रीवास्तव, राकेश अग्रवाल ने किया।
स्वागत संयोजन -देवेश शर्मा, संजय शर्मा, राजेश गुप्ता, विजय गुप्ता,सुनील सिंह राजपूत, प्रमोद अग्रहरि, राकेश पाण्डेय,पवन सिंह, प्रिंस जायसवाल, कृष्ण कांत गुप्ता,मनोज प्रजापति -नदेसर सहित अनेकों विशिष्ट लोगों ने किया।
डॉ. गिरीश पाण्डेय काशिकेय ने - सईया कीन द मोबाईल बाजार से,बात करब हम यार से ना, इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक ने -कईसे दाल रोटी खाईल जाई, बहुत बढ़त बा महंगाई पिया ना,डॉ.पूनम श्रीवास्तव ने -मैं जान हूं गुलशन की, फूलों की सहेली हूं, रिश्तों के बवंडर में मैं मीत अकेली हूं, डॉ.अनीता मिश्रा ने -सखी खेली आई सावन में की कजरिया ना,सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध ने -जवन मजा बाटे सईयां रोटी दाल में,ऊ नाही बा श्रीमाल में ना,श्रीमाल में ना, मुनक्का मौर्या ने - ये ज़िन्दगी दो धार पर टिकी है दोस्तों,ये दिल तो बस प्यार प्यार पर टिकी है दोस्तों, हर्ष अग्रवाल ने - हिंसा को बढ़ना देख लिया, हिंसा करना भी देख लिया सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
डॉ. पूनम श्रीवास्तव का वाणी वन्दना ने श्रोताओं को खूब झुमाया।
आयोजन के अन्त में कजरी प्रेमियों के प्रति आभार जताते हुए अस्मिता नाट्य संस्थान एवं अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् द्वारा आयोजित होने वाले निरंतर कार्यक्रमों के सफलता के लिए आह्वान किया।