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 ताइवान के पास दिखे पांच नौसैनिक जहाज और सैन्य विमान ताइवान जलडमरूमध्य तनाव का केंद्र बना हुआ है। इस बीच चीन के पांच नौ सैनिक जहाज और पांच चीनी सैन्य विमान एक बार फिर ताइवान के उत्तरी और दक्षिणी पश्चिमी एडीआईजेड में देखे गए। ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने कहा कि इस पर नजर रखी जा रही है।एमएनडी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि आज सुबह 6 बजे तक ताइवान के आसपास 5 पीएलए विमान और 5 पीएलएएन जहाजों को देखा गया। तीन विमान मध्य रेखा को पार करके ताइवान के उत्तरी और दक्षिण-पश्चिमी एडीआईजेड में घुस गए। हमने स्थिति पर नजर रखी है और उसके अनुसार कार्रवाई की है।

इससे शनिवार को भी चीन के विमानों को ताइवान के सीमा क्षेत्र के पास देखा गया था। इसे लेकर एमएनडी ने एक्स पोस्ट में लिखा था कि ताइवान के आस-पास 7 पीएलए विमान और 5 पीएलएएन जहाजों को देखा गया। इनमें से एक विमान मध्य रेखा को पार करके ताइवान के उत्तरी एडीआईजेड में घुस गया। हमने स्थिति पर नजर रखते हुए कार्रवाई की है।

हाल ही में ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने आरओसी सशस्त्र बल के आर्मी एयरबोर्न प्रशिक्षण केंद्र के नए बैरक के उद्घाटन की जानकारी दी थी। इसके अनुसार अगली पीढ़ी के प्रशिक्षण के तरीके और गियर के साथ यह बेस सेना के पैराट्रूपर्स और विशेष युद्ध योद्धाओं की युद्ध क्षमताओं को बढ़ाएगा। 

वहीं नाटो महासचिव मार्क रूटे ने भी ताइवान के प्रति चीन के रुख पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि चीन ताइवान को धमकी दे रहा है। चीन ऐसे तरीके अपना रहा है। जिससे वह ताइवान के बुनियादी ढांचे तक पहुंच सके और उसे पंगु बना सके। दिसंबर में अब तक ताइवान ने 71 बार चीनी सैन्य विमान और 50 बार जहाजों का अपनी सीमा में पता लगाया है। 

चीन ताइवान के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है ग्रे-जोन रणनीति
सितंबर 2020 से, चीन ताइवान के आसपास ऑपरेट करने वाले सैन्य विमानों और नौसैनिक जहाजों की संख्या बढ़ाकर ग्रे-जोन रणनीति का इस्तेमाल कर रहा है। ग्रे-जोन रणनीति 'स्थिर-स्थिति निरोध और आश्वासन से परे एक प्रयास या प्रयासों की श्रृंखला है जो बल के प्रत्यक्ष और बड़े पैमाने पर उपयोग का सहारा लिए बिना किसी के सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करती है।' ताइपे टाइम्स ने बताया, इससे पहले 3 दिसंबर को, ताइवान के विदेश मंत्रालय ने अन्य लोकतांत्रिक देशों के राजनयिक संबंधों में चीन के हस्तक्षेप की आलोचना की, और इसे 'अफसोसजनक' बताया कि बीजिंग लोकतांत्रिक देशों के बीच सामान्य राजनयिक व्यवहार को समझने में विफल रहता है और इस प्रकार अक्सर 'उत्तेजक कार्रवाई' करता है।

 

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