वाराणसीः प्रत्येक स्वयंसेवक को आकर्षण का केन्द्र बनना चाहिए । पाँच-पच्चीस लोगों को सदैव अपने आसपास आकृष्ट कर रखने की कला में वह प्रवीण होना चाहिए उसमें एक न एक गुण पूरी मात्रा में होना चाहिए जिसके शब्दों में अमृत बरसता हो परिस्थिति पहचान सकने की शक्ति हो और कौन किस काम में उपयोगी हो सकता है इसकी पूरी परख करके अमुक व्यक्ति को अमुक काम पर नियुक्त करने की कुशलता हो वही संगठन कर सकता है ।
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार