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बांदाः यूपी के जिला बांदा की बबेरू तहसील में विश्वास सिविल जज आखिका साहू ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक पत्र में विज्ञापन जारी किया है इस पत्र में न्यायाधीश ने इच्छा मृत्यु की अनुमति नहीं है। यह खबर एनालिस्ट में आई है बांदा और बबेरू के प्रवचन में चर्चा आम हो गई है। लेकिन दूसरे जिले से जुड़ा मामला होने के कारण इस बारे में कोई भी बात नहीं हो रही है। इस बारे में *जज अर्पिता साहू से भी फोन पर बात करने की कोशिश की गई थी लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया

ओसाइस सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के प्रेषण पत्र में लिखा है कि बाराबंकी में विस्फोट के जिला न्यायाधीश द्वारा उनके मानसिक एवं शारीरिक शोषणकिया गया। कई बार उनसेरात में मुलाकातको कहा गया। इस संबंध में याचिका के बाद भी जब न्याय नहीं मिला तो जबरन पत्र लिख दिया गया। न्याय न मिलनेके कारण ही वे इच्छा मृत्युके रूप में मान्य हैं।

बताया जा रहा है कि बार के दौरान अल्पविकसित लक्षण के महामंत्री रीत मिश्रा और जूनियर डिवीजन जज राकेश साहू की अदालत के बायकाट का मामलातुल पकड़ा गया था। इस मामले को लेकर जिला जज नेमहिला जजको बढ़ावा दिया था। लेकिन उन्होंने अपने पत्र में मानसिक और शारीरिक शोषणका भी आरोप लगाया है। 

इस बारे में जिला जज बांदा बी बूथ सारंग ने जानकारी दी कि निश्चिंता साहू सुप्रीम कोर्ट के पत्र में जिप की जानकारी नहीं है। इसके बारे में विस्तार से बताएं। इतना जरूर पता है कि यहां आने से पहले वह स्टेक में स्थिर थी। 

रिपोर्ट- सुनील यादव

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