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प्रदेश सरकार ईंट-भट्ठों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। यूपी में 2012 से पूर्व स्थापित हजारों ईंट भट्ठों के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है। इस कारण वे बंद पड़े हैं। अब नियमों में ढील देने की तैयारी है। ऐसे भट्टों में से जो भी जिला पंचायत, जीएसटी या खनन विभाग का 2012 से पहले के कागज दिखा पाएंगे तो उन्हें भट्ठा संचालन की अनुमति मिल जाएगी। इस बदलाव से प्रदेश में बंद पड़े करीब 6800 से अधिक भट्ठों में से पांच हजार के चालू होने की उम्मीद है।

यूपी में ईट-भट्ठों की बात करें तो इनकी संख्या 22000 से अधिक है। भट्ठा स्थापित करने के लिए दो तरह की अनुमति लेनी होती है। पहली भट्टा खोलने की, जो खाली जमीन पर ली जाती है। दूसरी भट्ठा स्थापित होने के बाद उसके संचालन की। जून 2012 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ईट-भट्ठा संचालन की नई नियमावली तैयार की थी।उस नियमावली के अनुसार जिन भट्ठों के पास जून 2012 से पहले की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति थी, सिर्फ उन्हीं का संचालन हो सकेगा।

ईंट के दाम पर भी असर

कुछ भट्ठे बंद हो गए और तमाम अवैध रूप से संचालित हो रहे थे। इससे सरकार को न राजस्व मिल पा रहा था। इसे देखते हुए नियमों में बदलाव की तैयारी है। नए प्रस्ताव के अनुसार अब इन भट्ठा संचालकों में से जिस किसी के पास खनन विभाग, जीएसटी या जिला पंचायत का जून 2012 से पहले की कोई रसीद या अन्य कागज होंगे, उन्हें बोर्ड संचालन की सहमति जारी कर देगा। प्रस्ताव पर जल्द कैबिनेट की मंजूरी लेने की तैयारी है। भट्ठों की संख्या बढ़ने का असर ईंट के दाम पर भी पड़ने की संभावना है।

 

रिपोर्ट रोशनी

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